प्रदेश में सियासी जंग तो यहां नगर निकायों में विवाद

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Political war in the state and disputes in municipal bodies here

आमजन में नेताओं और अधिकारियों की छवि को लग रहा बट्टा

विशेषज्ञों के अनुसार राजनीति और ब्यूरोक्रेसी निचले स्तर पर

बीकानेर। एक तरफ प्रदेश में वर्चस्व को लेकर सियासी जंग चल रही है वहीं दूसरी तरफ जिले में नगर निकायों में राजस्व को लेकर विवाद छिड़ गया है। राजनीतिक वर्चस्व बनाने और अपने आला अधिकारियों के आगे नंबर बढ़ाने की इस जद्दोजहद ने आमजन के बीच नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की छवि को बट्टा लगा दिया है।

गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले सवा साल से सियासी जंग चल रही है। जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपना-अपना वर्चस्व कायम रखने की कोशिशों में जुटे हैं। इन दोनों की वर्चस्व की लड़ाई में पार्टी विधायक और समर्थित विधायक दो खेमों में बंट कर अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। इन दो नेताओं के बीच चल रही सियासी जंग को शांत करने में प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी का आलाकमान भी अभी तक नाकाम साबित रहा है। ये सियासी जंग अभी चरम पर ही है कि इसी बीच बीकानेर शहर के नगर निकायों में राजस्व को लेकर विवाद चरम पर पहुंच रहा है। newsfastweb.com

नगर विकास न्यास ने नगर निगम के होर्डिंग्स इसलिए हटवा दिए कि ये उनकाक्षेत्र है। विवाद बढऩे पर न्यास अािधकारी का कहना था कि उन्होंने होर्डिंग्स हटाने के लिए छह महीने पहले ही निगम को नोटिस जारी कर दिए गए थे। वहीं इस विवाद पर निगम अधिकारी व महापौर सुशीलाकंवर राजपुरोहित का भी बयान आया, उन्होंने नगर विकास न्यास की इस कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित ठहराते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में पहले सूचना दी जानी चाहिए थी। अब वे इस विवाद सरकार तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। newsfastweb.com

इन दोनों नगर निकायों के विवाद में परेशानी उन लोगों को झेलनी पड़ रही है जिन्होंने अपनी फर्म, कंपनी या निजी प्रचार के विज्ञापन इन होर्डिंग्स के जरिए कर रहे थे और जिसका भुगतान भी कर दिया था। विशेषज्ञों का इस मामले पर कहना है कि नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पद पर अभी राजनीतिक नियुक्ति नहीं हुई है, ऐसे में कलेक्टर ही न्यास के अध्यक्ष हैं। वे जिले के मुखिया भी हैं। ऐसे में मुखिया जानकारी के बिना न्यास सचिव की इस कार्रवाई को लेकर लोगों में चर्चाएं गर्म हो गई हैं। हालांकि कलेक्टर को इस विवाद की सूचना मिलने के बाद उन्होंने एकबारगी इस विवाद को रोकने का काम किया है। लेकिन सवाल ये खड़ा हो रहा है कि उन्होंने इस बारे में नगर निगम अधिकारियों को होर्डिंग्स हटवाने के निर्देश क्यों नहीं दिए, अगर दिए तो उनकी पालना नहीं करने पर नगर निगम अधिकारियों से फीडबैक क्यों नहीं लिया। कुल मिलाकर ये प्रकरण भी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि नगर निगम में बोर्ड भाजपा का है और प्रदेश में सरकार कांग्रेस की।

बहरहाल, प्रदेश की सियासी जंग और जिले में नगर निकायों के बीच हुए विवाद ने आमजन में नेताओं तथा प्रशासनिक अधिकारियों की छवि को और भी ज्यादा नीचे गिरा दिया है।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI WWW.NEWSFASTWEB.COM

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