सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स से मोदी सरकार को राहत, ऑक्सीजन के उत्पादन व सप्लाई में अभूतपूर्व काम

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Relief to Modi government from Supreme Court task force, unprecedented work in production and supply of oxygen

ऑक्सीजन ऑडिट होना बताया जरूरी

रविवार को हुई है टास्क फोर्स की पहली बैठक

नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों और इस फेर में ऑक्सीजन की कमी को लेकर आलोचना का शिकार हो रही केंद्र की मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित टास्क फोर्स ने बहुत बड़ी राहत देने का काम किया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सीजन के आवंटन मसले पर टास्क फोर्स का मानना है कि वर्तमान हालात और कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित स्थिति में ऑक्सीजन उत्पादन और आपूर्ति के लिए जो कुछ किया गया, वह अभूतपूर्व है। समस्या ढांचागत है। उसे भी बहुत कुछ दुरुस्त किया गया है। पिछले एक पखवाड़े में ही जहां उत्पादन क्षमता में उछाल आया, वहीं अगर सप्लाई की बात हो तो उसमें दोगुना तक बढ़ोतरी हुई।

टास्क फोर्स ने माना है कि पहली लहर के वक्त 14 सितंबर,2020 को सबसे ज्यादा केस लोड था। तब भारत में 10-15 लाख एक्टिव केस थे और रोजाना लगभग एक लाख नए केस आ रहे थे। तब राज्यों को लगभग 3,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई थी। एक मार्च को इसकी जरूरत घटकर 1,318 मीट्रिक टन रह गई थी, लेकिन जरूरत के अनुसार नौ मई को राज्यों को लगभग 9,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजनकी सप्लाई की गई। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित 12 सदस्यीय टास्क फोर्स की पहली बैठक रविवार को हुई तो सभी सदस्यों ने इसे सराहा। सूत्रों के अनुसार सदस्यों का मानना था कि ऑक्सीजनके सही उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है।

15 से 20 प्रतिशत बर्बाद हुई ऑक्सीजन

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीन सदस्यों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि उन्होंने 15-20 प्रतिशत ऑक्सीजनकी बर्बादी रोकी है। ध्यान रहे कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी बार-बार आगाह किया जा रहा है कि ऑक्सीजनको किस तरह बचाया जाए। कुछ सदस्यों ने ऑक्सीजनकी कालाबाजारी पर चिंता जताई तो एक सदस्य ने केवल आशंका में भर्ती होने वाले मरीजों पर ध्यान देने की बात कही।

ऑक्सीजन ऑडिट जरूरी

सूत्रों की मानें तो ऑक्सीजन आवंटन की वर्तमान व्यवस्था में फिलहाल कोई परिवर्तन नहीं है। वैसे भी यह रोजाना आंकलन के आधार पर होता है और इसमें राज्यों के साथ भी मशविरा होता है। बहरहाल, सब-कमेटी की रिपोर्ट के बाद इसका भी फार्मूला बनेगा। सदस्यों का मानना था कि ऑडिट बहुत जरूरी है।

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