चिकित्सीय सामान के साथ, फल, सब्जी और किराणा भी किया महंगा
गरीब पर मार, मौन है सरकार
बीकानेर। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में प्रदेश में 16 अप्रेल से (जन अनुशासन पखवाड़ा) लॉकडाउन का पूरा लाभ व्यापारी ही उठाते नजर आए हैं। इन पिछले दिनों में और अभी भी चिकित्सीय सामान के साथ फल, सब्जी, दालें सहित अन्य खाने-पीने का सामान व्यापारियों ने महंगा कर दिया है। ऐसे मेें आमजन के लिए जीवन बहुत ही कठिनाइयों भरा हो गया है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बढ़ते संक्रमण के साथ ही व्यापारियों ने आमजन को लूटना शुरू कर दिया था। देश के अन्य प्रान्तों की तरह जब प्रदेश में भी कोविड संक्रमण बढऩे लगा तो सोशल मीडिया पर लॉकडाउन लगने के संदेश भी शुरू हो गए, जिससे लोगों की बाजारों में भीड़ बढऩा शुरू हो गई और इस बढ़ती भीड़ में व्यापारियों को अपना मुनाफा नजर आ गया। व्यापारियों ने इन दिनों में जमकर चांदी काटी और गरीब तबके के लोगों का खून निचोड़ कर अपनी तिजोरियों में रख लिया। 16 अप्रेल को प्रदेश में जन अनुशासन पखवाड़ा का नाम देकर लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर दी गई। लॉकडाउन रूपी यह पखवाड़ा भी कुछ व्यापारियों के लिए मुनाफा लेकर आया। अब सरकार ने फिर से 14 दिनों का रेड अलर्ट लॉकडाउन लगा कर कुछ व्यापारियों दीवाली जैसा सीजन प्रदान कर दिया है।
चिकित्सीय सामान के मुंहमांगे दाम
यह कोरोना काल सबसे ज्यादा चिकित्सीय सामान के व्यापारियों के लिए फायदेमंद रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से पहले जहां आक्सीमीटर 550 रुपए का मिलता था, वह अब 2 हजार से 22 रुपए मेें बेचा जा रहा है, पीपीई किट जो पहले 3 सौ रुपए में बिक रही थी अब वह 4 सौ से 6 सौ रुपए में बेची जा रही है। ऑक्सीजन रेग्यूलेटर, मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर के भी दाम भी लोगों की मजबूरी को देखते हुए बढ़ा दिए गए हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के बारे में जगजाहिर हो चुका है।
फल, सब्जी और किराणा भी कर दिया गया महंगा
लॉकडाउन की आड़ में फल, सब्जी और किराणा भी जबरदस्ती महंगा कर दिया गया। कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि हर घर में तीन चार दिनों का राशन रहता है। लेकिन ये बुद्धिजीवी नहीं जानते कि प्रदेश में ऐसे लाखों लोग हैं जो दिन भर मेहनत करके शाम को अपने और परिजनों के लिए राशन खरीदते हैं। बहुत से लोग अपनी कमाई के अनुसार तीन, चार या हफ्ते भर का सामान खरीदते हैं। ऐसे लोगों के लिए ये समय सिर्फ ‘काल’ भी बना हुआ है।
हैरानी की बात है कि इतना सब कुछ सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। कहने को तो सरकार और प्रशासन ने कालाबाजारी रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर और नियंत्रण कक्ष बना रखे हैं लेकिन शिकायत होने पर भी सुनवाई नहीं होने की जानकारी सामने आई है। प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर औचक निरीक्षण करे और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करे।
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