संगठन महासचिव वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने मांगी रिपोर्ट
किसान आंदोलन को बढ़ावा देने के बावजूद हार को कांग्रेस के लिए माना जा रहा खतरे की घंटी
बीकानेर। प्रदेश के पंचायत चुनाव में हार ने कांग्रेस में जयपुर से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज हो गई है। हार को लेकर एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने सफाई देते हुए कहा है कि हम कोविड से निपटने में व्यस्त हो गए, इस कारण सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं कर सके और भाजपा ने गांवों में कांग्रेस सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया। वहीं दूसरी तरफ हार को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने रिपोर्ट मांगी है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन ने हार के कारणों को लेकर प्रदेश सत्ता व संगठन से रिपोर्ट मांगी है। किसान आंदोलन को बढ़ावा देने के बावजूद हार को कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी सत्तारूढ़ दल की पंचायत चुनाव में इतनी बड़ी हार हुई हो। प्रदेश में कांग्रेस को गांवों की पार्टी माना जाता है।
अब तक का इतिहास रहा कि पंचायतों पर हमेशा कांग्रेस का कब्जा रहा और नगरीय निकायों में भाजपा को बढ़त मिली। लेकिन इस बार टूटे रिकॉर्ड ने कांग्रेस नेतृत्व को चिंता में डाल दिया। हार के बाद मुख्यमंत्री विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है। पार्टी में हार के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा को माना जा रहा है। छह महीने पहले अध्यक्ष बने डोटासरा सरकार में शिक्षामंत्री भी हैं। वे अध्यक्ष बनने के बाद एक बार भी जिलों कें दौरे पर नहीं गए, ग्रामीणों से रूबरू नहीं हुए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ संवाद नहीं किया।
उन्होंने अब तक ना तो अपनी कार्यकारिणी बनाई और ना ही जिला व ब्लॉक कमेटियां गठित हुई। पंचायत चुनाव में कार्यकर्ताओं से राय लेकर टिकट बांटने के बजाय विधायकों को सिंबल दे दिए। मंत्रियों व विधायकों ने अपने रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतार दिया। इसका ग्रामीणों व पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया।
पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं का मानना है कि सीएम गहलोत तो कोविड मैनेजमेंट या सरकार के अन्य कामकाज में व्यस्त रहे लेकिन डोटासरा को तो जिलों के दौरे करने चाहिए थे। अधिकांश मंत्री कोरोना महामारी के भय के कारण अपने निर्वाचन क्षेत्रों तक में नहीं गए। जिसका परिणाम हुआ कि अस्सी फीसदी मंत्रियों व विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। इन सबके उलट इस बार नगर निकायों के चुनाव में कांग्रेस ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की, जिसकी वजह से सीएम गहलोत व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा की लाज बच गई।
सचिन पायलट रहे दूर, सीएम व डोटासरा के हाथ में रही कमान
जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में सचिन पायलट पूरी तरह अलग-थलग रहे नजर आए। पायलट ने टिकट वितरण से लेकर प्रचार तक में दिलचस्पी नहीं ली। वहीं टिकट तय करने से लेकर चुनाव अभियान संचालित करने की पूरी कमान सीएम व पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के हाथ में थी। दोनों ने मिलकर विधायकों को सिंबल सौंप दिए। अब माना जा रहा है कि इस हार के बाद पायलट और उनके समर्थक एक बार फिर सक्रिय हो सकते हैं।
गौरतलब है कि कुल 222 पंचायत समितियों में से 93 में बीजेपी प्लस और 81 में कांग्रेस को बहुमत मिला है। इसके अलावा 5 अन्य दलों को बहुमत मिला है। वहीं 43 जगहों पर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं है। गौरतलब यह भी है कि 636 जिला परिषद सदस्यों के लिए 1778 उम्मीदवार तथा 4371 पंचायत समिति सदस्यों के लिए 12663 उम्मीदवार मैदान में थे।
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