सांसद निधी से आवंटित हुई राशि से ज्यादा राशि के दिए आर्डर
सप्लाई करने वाली स्थानीय फर्मो सहित दो बाहरी फर्मों से सांठगांठ का ब्यौरा रिपोर्ट में
बीकानेर। कोविडकाल में एन-95 मास्क खरीद में किस तरह से आमजन के पैसों का दुरुपयोग कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाया गया, ये कलेक्टर की ओर से इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में सामने आ गया है। हैरत की बात तो यह है कि कोविड-19 में आगे रहकर कार्य करने वाले चिकित्सकों, नर्सिंगकर्मियों को निम्न गुणवत्ता के मास्क उपलब्ध करवा कर उनकी जान को खतरे में डालने वाले स्वास्थ्य विभाग के लालची अधिकारियों, कर्मचारियों और भ्रष्ट फर्मों के संचालकों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई गई।
सूत्रों से न्यूजफास्ट वेब को मिली भ्रष्टाचार के मामले की जांच रिपोर्ट में सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा सहित अन्य अधिकारियों, लेखाधिकारी, भंडारपाल और सामान सप्लाई करने वालों की मिलीभगत को सरकार और आला प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रखने की कोशिश तो जरूर की गई है लेकिन इस रिपोर्ट को सरकार तक पहुंचाने में भी जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने लेटलतीफी की है। इस जांच रिपोर्ट में जांच समिति ने विभिन्न पैराग्राफ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और फर्मों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर किया है।
रिपोर्ट के दूसरे पैराग्राफ में लिखा गया है कि ‘बीकानेर की एक फर्म को 70,000 टीएलएफ मास्क 10 रुपए प्रतिनग की दर से क्रय आदेश तत्काल आपूर्ति की शर्त के साथ बिना गुणवत्ता निर्धारण एवं मांग के दिया गया जो कि बिना किसी सक्षम स्वीकृति/वित्तीय प्रक्रिया पूर्ण करने के जारी किया गया। इस क्रय आदेश के विरूद्ध रिपोर्ट लिखे जाने वाली दिनांक तक फर्म की ओर से कोई आपूर्ति नहीं की गई और ना ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल मीणा द्वारा इस बाबत फर्म के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
इतना ही नहीं इस पैराग्राफ में बताया गया है कि सांसद निधि से कुल राशि 28 लाख रुपए का आवंटन हुआ था, जिसके विरूद्ध दिनांक 24 मार्च, 2020 को 7 लाख तथा दिनांक 31 मार्च,2020 को 27 लाख 99 हजार 9 सौ रुपए यानि कुल 34 लाख 99 हजार 9 सौ रुपए के क्रय आदेश जारी किए जो कि प्राप्त सांसद निधि से बहुत ज्यादा के जारी किए गए हैं जो कि गंभीर अनियमितता है। दिनांक 31 मार्च,2020 को टीएलएफ मास्क के 14.90 रुपए प्रतिनग की दर से दिए गए आदेश को दिनांक 6 अप्रेल,2020 को पुन: दर कम करना उचित प्रतीत नहीं होता है।
सर्वे में शामिल 5 फर्मों में से प्रत्येक फर्म की एक-एक आइटम की दरें न्यूनतम दर्शाना फर्मों की पुलिंग तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीणा की मिलीभगत को प्रमाणित करता है। तुलनात्मक तालिका हस्तलिखित तैयार करना एवं समिति के सदस्य सचिव कोषाधिकारी बीकानेर तुलनात्मक तालिका पर ‘बेस्ड ऑन मेडिकल डिपार्टमेंट सर्वे’ लिखे जाने के बाद भी क्रय आदेश जारी कर दिए गए जबकि क्रय आदेश से पहले तुलनात्मक विवरण से संबंधित न्यूनतम दरों वाली फर्मों को सूचित नहीं किया गया है, आशय स्पष्ट है कि फर्म विभाग से मिली हुई है।’
गौरतलब है कि कोविडकाल में आवश्यक सामग्री खरीद में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों व माल सप्लाई करने वाली गिनी चुनी स्थानीय फर्मों और बाहरी फर्मों के संचालकों ने जमकर चांदी काटी है। एन-95 मास्क खरीद प्रकरण तो मीडिया में उजागर हो गया लेकिन ऐसे बहुत से सामान की खरीद पिछले छह-सात महीनों में विभाग के अधिकारियों की ओर से की गई है। कोविडकाल में विभाग के अधिकारियों की ओर से अन्य सभी प्रकार के सामान की खरीद के मामलों की जांच करवाई जाए तो काफी कुछ जनता के सामने उजागर हो सकता है।
फिलहाल इस प्रकरण को लेकर शहर के कुछ जागरूक लोग उच्च न्यायालय में जाने का विचार कर रहे हैं।
इस प्रकरण की और जानकारी अगली न्यूज में……
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