केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना
बीकानेर। केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत प्रदेश में साल 2020-21 में 20.69 लाख ग्रामीण घरों में नल से जल आने लगेगा। इस साल चुरू जिले के 100 प्रतिश्त ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने की योजना है। प्रदेश में वर्ष 2023-24 तक सभी ग्रामीण घरों में 100 प्रतिशत नल कनेक्शन की योजना बना रहा है। राज्य में करीब 1.01 करोड़ ग्रामीण आवास हैं, जिनमें से 88.57 लाख में घरेलू नल कनेक्शन नहीं है।
20,172 गांवों में योजनाओं की जांच का आग्रह
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन की मध्यावधि समीक्षा की। समीक्षा में 44,641 बस्तियों में मौजूदा पाइप लाइन से जलापूर्ति (पीडब्ल्यूएस) योजनाओं के विश्लेषण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया, जहां एक भी कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया है। 20,172 गांवों में योजनाओं की जांच करने का आग्रह किया गया, जहां एक भी नल कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया है।
1,545 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों की जल योजना
राज्य ने दिसंबर, 2020 तक 8.74 लाख की आबादी वाली शेष बची 1,545 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। राज्य को पानी की कमी वाले क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों, एससी/एसटी बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गांव को बराबरी के साथ शामिल करने के लिए विशेष रूप से ध्यान देने की बात कही गयी है।
वर्ष 2020-21 में 2,522 करोड़ रुपए आवंटित
वर्ष, 2020-21 में केंद्र ने जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान को 2,522 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। राज्य को पहले से 389 करोड़ रुपए राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन के तहत पानी की गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आवंटित किए गए हैं।
15वें वित्त आयोग का पंचायती राज संस्था-पीआरआई को 50 प्रतिशत अनुदान पानी और स्वच्छता पर खर्च किया जाना है। राजस्थान को 2020-21 में वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 3,862 करोड़ आवंटित किए गए हैं। जल जीवन मिशन योजना के तहत वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण आवास में नल कनेक्शन उपलब्ध कराकर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पीने योग्य पानी प्रदान करना है।
प्रदेश सरकार 100 दिन का चलाए अभियान
प्रदेश सरकार से अनुरोध किया गया कि सभी आंगनवाड़ी केंद्रों, आश्रमों और स्कूलों को नल से जलापूर्ति प्रदान की जाए क्योंकि 2 अक्टूबर, 2020 से विशेष सौ-दिवसीय अभियान चलाया गया है ताकि पीने, हाथ धोने के लिए, शौचालयों में उपयोग के लिए औेर मध्यान्ह भोजन पकाने के लिए इन संस्थानों में पीने योग्य पानी उपलब्ध हो सके।
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