ऑपरेशन प्रिन्स : पीबीएम में सबसे भ्रष्ट है कैंसर विभाग

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Operation Prince: Cancer department is the most corrupt in PBM

सोसायटी का नियंत्रण होने की वजह से कैंसर विभाग में बेकाबू है भ्रष्टाचार

पंजाब व अन्य राज्यों से आए मरीजों को होटलों व घर पर दी जा रही सेवाएं

बीकानेर। पीबीएम अस्पताल के कैंसर विभाग को ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में सबसे भ्रष्ट बताया गया है। तत्कालीन अतिरिक्त संभागीय आयुक्त आरएएस डॉ.राकेशकुमार शर्मा ने अपनी इस विशेष रिपोर्ट में कैंसर अस्पताल में कार्यरत छह चिकित्सकों के भ्रष्टाचार को सरकार के समक्ष पेश किया है।

गौरतलब है कि वर्ष, 2015-16 में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं के प्रति आमजन में उपजे आक्रोश के बाद तत्कालीन संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार ने अन्य आइएएस व आरएएस अधिकारियों की टीम बना कर ऑपरेशन प्रिंस चलाया था, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट उस दौरान सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को भेजी गई थी, लेकिन अफसोसजनक बात तो यह है कि न तो भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में किए जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही इसके बाद प्रदेश की सत्ता की कमान संभालने वाली कांग्रेस सरकार ने। हालात यह हैं कि आज भी मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में तत्कालीन अतिरिक्त संभागीय आयुक्त डॉ. राकेशकुमार शर्मा ने कैंसर विभाग को पीबीएम का सबसे भ्रष्ट विभाग बताते हुए वहां कार्यरत छह चिकित्सकों की भ्रष्ट करतूतों को अलग-अलग वर्णित किया है। हालांकि इन छह चिकित्सकों में एक चिकित्सक जितेन्द्र नागल ने कैंसर विभाग से किनारा कर अपना निजी अस्पताल स्थापित कर लिया है। इसलिए यहां पांच चिकित्सकों के भ्रष्टाचार पर की गई टिप्पणियों का ही उल्लेख किया जा रहा है।

-डॉ. एमआर बरडिय़ा- ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट डॉ. बरडिय़ा के बारे में लिखा गया है कि ‘ कैंसर डिपार्टमेंट पीबीएम के सबसे करप्ट डिर्पामेंट्स में से एक है और डॉ. बरडिय़ा इसके प्रमुख हैं। डॉ. राजाबाबू के कृपापात्र हैं, इस वजह से रिटायर होने के बाद भी एक्सटेंशन प्राप्त कर कैंसर डिपार्टमेंट के प्रमुख बने हुए हैं। काबिल लोगों को ऊपर नहीं आने दे रहे हैं। कैंसर हॉस्पिटल पर सोसायटी का नियंत्रण होने के कारण डॉ. राजेन्द्र बोथरा को ईएनटी सर्जन होने के बाद भी कैंसर डिपार्टमेंट में अवैध नियुक्ति दिलवा रखी है। जबकि कैंसर विशेषज्ञ को अस्थाई नियुक्ति पर कार्य करना पड़ रहा है। डॉ. राजाबाबू इनके माध्यम से करोड़ों रुपए की पैटस्कैन मशीन पीबीएम में इंस्टाल करवाना चाहते है। महिला नर्स जो कि ओटी इंचार्ज है पर इनकी विशेष कृपा है। कर्तव्य निर्वहन ना करने के बाद भी हर बार उनका फेवर कर उन्हें बचा लेते हैं।

-डॉ. एसएस कुमार- ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में इनके बारे में लिखा गया है कि ‘ पीबीएम कैंसर डिपार्टमेंट में एचओडी हैं और इस विभाग में व्याप्त गड़बडिय़ों में सहभागी रहे हैं। इस विभाग के अन्य डॉक्टर्स बहुत बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं और ये सबकुछ जानते हुए भी विभागीय राजनीति में शामिल हैं। इनके अधीनस्थ कर्मचारी पंजाब से आए मरीजों को होटल जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनसे अवैध रूप से पैसा ले रहेे हैं।

-डॉ. सुरेन्द्र बेनीवाल- तत्कालीन अतिरिक्त संभागीय आयुक्त डॉ. राकेश कुमार ने ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में इनके बारे में लिखा है कि वन मैन शो हं। जांच हो, इलाज हो या दवाई हो, इनके मरीजों को मोटी फीस के बदले इलाज की सभी सुविधाएं इनके घर पर ही मिल रही हैं। कैंसर के इलाज में आने वाले महंगे इंजेक्शन इनके ससुर द्वारा चलाई जा रही दुकान से ही लेने पड़ते हैं।

-डॉ. संजीव गुप्ता- ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में इनके बारे में लिखा गया है कि पिछले काफी समय से कैंसर विभाग में कार्य कर रहे हैं। पंजाब से आए हुए कैंसर के मरीज इनका मुख्य टारगेट होते हैं। मरीजों को ऑपरेशन के लिए इंतजार करवाते हैं ताकि वे मजबूर होकर पीबीएम के बाहर ऑपरेशन करने के लिए मोटी फीस दें।

-डॉ. राजेन्द्र बोथरा- पीबीएम के हालातों को सुधारने के लिए चलाए गए ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में इन चिकित्सक के बारे में वर्णित किया गया है कि कैंसर हॉस्पिटल पर सोसायटी का नियंत्रण होने की वजह से डॉ. राजेन्द्र बोथरा को ईएनटी सर्जन होने के बाद भी कैंसर डिपार्टमेंट में अवैध रूप से कार्य कराया जा रहा है। जबकि कैंसर विशेषज्ञ को अस्थाई नियुक्ति पर कार्य करना पड़ रहा है। नियमों के विपरीत डॉ. राजेन्द्र बोथरा की सैलेरी में इंक्रीमेंट किए गए हैं। बालाजी हॉस्पिटल में इनकी पार्टनरशिप किसी और के नाम से है। कैंसर हॉस्पिटल से संबंधित मरीजों की सभी तरह की जांचें डॉ. राजेन्द्र बोथरा के भाईकी लैब जो पवनपुरी में स्थित है, पर भेजी जा रही है। इस विभाग के अन्य डॉक्टर्स भी इनके दबाव की वजह से जांचें इसी लैब पर भेज रहे हैं। कैंसर विभाग में हो रही राजनीति की जड़ हैं। अपने संबंधों का गलत इस्तेमाल कर रह हैं।

गौरतलब है कि इन चिकित्सकों के भ्रष्टाचार की इतनी साफ और स्पष्ट टिप्पणियां सामने आने के बाद भी पहले वसुन्धरा राजे सरकार ने इन चिकित्सकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और अब भ्रष्टाचार मिटाने का दम भरने वाली अशोक गहलोत सरकार ने भी सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल के हालात सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। नतीजा आज भी पीबीएम बदहाल हालत में है और वहां से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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