क्यों दिया गया एमआरआई, सीटी स्कैन मशीन का ठेका, पढि़ए ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट

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Why MRI, CT scan machine contract, read the report of Operation Prince

आरएएस अफसर ने अपनी रिपोर्ट में किया खुलासा, फर्म को ब्लैक लिस्ट करने की अनुशंषा

राजहित के विरूद्ध कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश

बीकानेर। पीबीएम अस्पताल-सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में किस प्रकार से अधिकारी चिकित्सकोंं ने घोटाले किए हैं, यह जानकारी वर्ष, 2015-16 में चलाए गए ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में आरएएस डॉ. राकेश शर्मा ने पेश की है। अफसोस की बात है कि सब कुछ सामने आने के बाद भी भाजपा व कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

तत्कालीन अतिरिक्त संभागीय आयुक्त डॉ. राकेश शर्मा ने ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में लिखा है कि ‘ऑपरेशन प्रिंस के दौरान अस्पताल में एमआरआई, सीटी स्कैन तथा ईको व ईसीजी जांचों से संबंधित मशीनों, उपकरणों व जांच कार्य की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारियां एकत्रित की गई थीं। जिसमें सामने आया कि पीबीएम में एक सीटी स्कैन मशीन कैंसर अस्पताल में सुव्यवस्थित तरीके से स्थापित है। गामा कैमरा भी स्थापित है। यह सीटी स्कैन मशीन निजी फर्म के साथ हुए अनुबंध की शर्तों के कारण उपयोग में नहीं ली जा रही है। इसी प्रकार पीबीएम में 20 ईसीजी मशीनों का उपयोग भी संबंधित संविदा के कारण नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने इस अनुबंध का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में इस अनुबंध की शर्तों पर पुनर्विचार करने की अनुशंषा की है। जिसमें उन्होंने बताया है कि यह अनुबंध राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी, पीबीएम अस्पताल के जरिए सदस्य सचिव तथा एमके मेडिकेयर सर्विसेज (सेवा प्रदाता) के मध्य दस वर्षों तक की अवधि के लिए हुआ है। उन्होंने अनुबंध की शर्तों को भी अपनी रिपोर्ट में लिख कर सभी का ध्यान आकर्षित कराया है।

आप भी देखिए ये हैं अनुबंध की शर्तें

-अनुबंध की शर्त संख्या 4 के अनुसार दस वर्षों की अवधि तक आरएमआरएस-पीबीएम प्रशासन एवं सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज एवं सम्बद्ध चिकित्सालय नई अथवा पुरानी एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन स्थापित नहीं करेगा।

  • अनुबंध की शर्त संख्या 7 के अनुसार प्रत्येक मशीन के लिए निशुल्क जांचों का निर्धारण मासिक आधार पर किया जाएगा तथा अन्तर (20 प्रतिशत से कम रही जांचें) को अगले माह में नहीं लिया जाएगा व लाइसेंसधारक की ओर से मेडिकल रिलीफ सोसायटी को कम जांचों का कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। यदि निशुल्क जांचों की संख्या 20 प्रतिशत से ज्यादा हो तो ज्यादा की गई जांचों का मेडिकल रिलीफ सोसायटी को व्यय उठाना पड़ेगा।
  • अनुबंध की शर्त संख्या 14-15 के अनुसार आरएमआरएस की ओर से सेवा प्रदाता निजी फर्म को अस्पताल परिसर में यथोचित स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा तथा सेवा प्रदाता निजी फर्म दस हजार रुपए (10,000) प्रति माह प्रति मशीन किराये का भुगतान करेगा।
  • अनुबंध की शर्त संख्या 26 के अनुसार अस्पताल का कार्य पूरा करने के बाद बाहरी रोगियों के लिए मशीनों को उपयोग किया जा सकेगा।
  • अनुबंध की शर्त संख्या 27 के अनुसार मशीन के 3 दिनों से ज्यादा खराब रहने पर केवल पांच हजार रुपए (5000) की पेनल्टी ही निर्धारित की गई है।
  • अनुबंध की शर्त संख्या 30 के अनुसार सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज तथा संबद्ध चिकित्सालयों द्वारा ओपीडी व आईपीडी मरीजों को सीटी स्कैन व एमआरआई की जांचों के लिए सेवा प्रदाता निजी फर्म को ही रेफर किए जाएंगे।
    इस प्रकार से किए गए अनुबंध में निजी फर्म की सभी शर्तों को माना गया है, जो कि अपने आप सभी कुछ जाहिर कर रही हैं।
    अनुबंध की इन शर्तों पर तत्कालीन संभागीय आयुक्त डॉ. राकेश शर्मा ने भारतीय अनुबंध अधिनियम की धाराओं के मुताबिक अपनी टिप्पणियों को ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में विस्तारित रूप से लिखा है।
  • रिपोर्ट में ये की गई है अनुशंषा
    आरएएस डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने आरएसआरएस और निजी फर्म के मध्य हुए इस –अनुबंध की शर्त 4 के बारे में लिखा है कि भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा-27 के तहत किसी भी प्रकार के वैघ पेशे, व्यापार एवं व्यवसाय में अवरोध डालने वाले अनुबंध व्यर्थ होते हैं, शर्त संख्या 4 इसी प्रकार की शर्त है।
  • अनुबंध की शर्त संख्या 7 के बारे में उन्होंने लिखा है कि इस शर्त से प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है कि इस अनुबंध में मेडिकल रिलीफ सोसायटी अर्थात राज्यहित की उपेक्षा की गई है। फ्री जांचों की संख्या कम होने पर सेवा प्रदाता कम की गई जांच की राशि का लाभ उठाएगा तथा 20 प्रतिशत से ज्यादा जांच होने पर भी मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी द्वारा निजी फर्म को भुगतान किया जाएगा। प्रत्येक माह होने वाली कुल जांचों के 20 प्रतिशत का निर्धारण पहले ही किया जाना संभव नहीं है। इस शर्त की वजह से आरएमआरएस अर्थात राजकोष को निरंतर अनावश्यक हानि वहन करनी होगी।
  • शर्त संख्या 15 के बारे में उन्होंने अनुशंषा की है कि यह विचारणीय तथ्य है कि इस किराए का निर्धारण सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया गया है अथवा बिना किसी आधार के ही किराया तय कर दिया गया है। यह किराया चिकित्सालय परिसर में संचालित कैन्टीन के क्षेत्र से तुलना करने पर संभवत: उसके दस प्रतिशत से भी कम हो। इस प्रकार की शर्त आरएमआरएस की अर्थात राजकोष को क्षति कारित करने वाली है।
    -अनुबंध की शर्त संख्या 26 पर उन्होंने रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि यह तथ्य विचारणीय है कि ऐसे बाहरी रोगियों द्वारा चिकित्सालय भवन में स्थापित मशीनों की सेवाएं प्राप्त करने के लिए चिकित्सालय परिसर व भवन का उपयोग भी किया जाएगा। जिसके कारण भवन एवं परिसर को भी क्षति पहुंचनी निश्चित है। इसलिए ऐसे रोगियों से प्रति जांच कुछ राशि आरएमआरएस द्वारा प्राप्त की जानी चाहिए।
    -शर्त संख्या 27 पर उन्होंने लिखा है कि मशीन के 3 दिनों से अधिक खराब रहने पर केवल पांच हजार रुपए की पेनल्टी ही निर्धारित की गई है जो कि जांचों के प्रतिदिन के शुल्क तथा महत्व को देखते हुए यह राशि बहुत कम है। अत: इसे बढ़ाया जाना वांछित है।
    -शर्त संख्या 30 पर उन्होंने लिखा है कि मेडिकल कॉलेज और संबद्ध चिकित्सालयों द्वारा ओपीडी व आईपीडी मरीजों को सीटी स्कैन व एमआरआई जांचों के लिए सेवा प्रदाता को रेफर किया जाना लोकहित के विरूद्ध है। इस अनुबंध की शर्तों को रोगियों पर, जो इस अनुबंध के पक्षकार नहीं है तथा जिनकी सुविधा के लिए यह मशीन स्थापित की गई है, उन पर इस प्रकार बाध्यकारी रूप से थोपा जाना न्यायोचित व तर्क संगत नहीं है। अत: यह शर्त हटाई जाने पर विचार किया जाना प्रस्तावित है।
    राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी और एमके मेडिकेयर सर्विसेज, जयपुर के बीच हुए इस अनुबंध के आखिर में उन्होंने अनुशंषाएं करते हुए लिखा है कि इस अनुबंध जांच कर आरएमआरएस की बैठक में इसे रिव्यू किया जाकर आवश्यक होने पर अनुबंध को निरस्त करके संबंधित फर्म को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए।
  • डॉ. राजाबाबू से संबंधित फर्म होने की वजह से इस फर्म का अनुचित लाभ देकर राजहित के विरूद्ध कार्य करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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