ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे आप, पीबीएम में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा

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You will be shocked to read the report of Operation Prince, the culmination of corruption in PBM

मनमर्जी से दोगुनी कीमत में खरीदे उपकरण व अन्य सामान

भ्रष्टाचार मिटाने के दावे खोखले साबित

सरकार नहीं कर रही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई

बीकानेर। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल के चिकित्सकों ने किस तरह से दानदाताओं और सरकार से मिले धन की बंदरबांट की है, ये ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट बयां करती है। वर्ष, 2015-16 में ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट तत्कालीन भाजपा सरकार को भेजी गई थी लेकिन उस दौरान वसुन्धरा सरकार ने अपनेे ही आइएएस और आरएएस अधिकारियों की रिपोर्ट पर तवज्जों नहीं दी। हैरानी की बात तो यह है कि भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा करने वाली अशोक गहलोत सरकार भी इस रिपोर्ट पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही है।

गौरतलब है कि वर्ष, 2015-16 में तत्कालीन संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार के निर्देश पर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त (आरएएस) डॉ. राकेश शर्मा ने सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में ऑपरेशन प्रिंस चलाया था, जिसकी गोपनीय व गैर शासकीय तथा तथ्यात्मक रिपोर्ट सरकार को भेजी थी। इस रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज और पीबीएम प्रशासन की ओर वृहद स्तर पर की जा रही अनियमितताओं को उजागर करते हुए उनके सुधार के सुझाव और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिशें की गई थी, लेकिन अफसोस की बात यह है कि शासन ने अपने भ्रष्ट प्रशासन को बचाने के लिए इस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया।

इस रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में विस्तृत ब्यौरा पेश किया गया था, जिसे आमजन के समक्ष पेश किया जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध पीबीएम अस्पताल में खरीद प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितताओं के सामान्य तथ्य :-

ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में लिखा गया है कि दानदाताओं भेंट किए गए उपकरण व अन्य संसाधन जैसे स्ट्रेचर, ट्रॉली, बैड, एम्बुलेंस, पार्कों के रखरखाव, मरम्मत आदि, पंखें, कूलर, एसी, वाटर कूलर, फ्रिज, नेबुलाइजर, व्हील चेयर आदि की अस्पताल के स्टॉक रजिस्टर में एन्ट्री ही नहीं की जाती है। उसे कंज्यूमेबल आइटम बताकर इति श्री कर ली जाती है। तत्पश्चात उस सामान का क्या हुआ, चोरी गया या किसी के घर गया, इस पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता है। यह संसाधनों का दुरुपयोग है। जिससे लोकहित, राजहित के विपरित राजकोष पर दोहरी मार पड़ती है।

अस्पताल में सेवा प्रदायगी निविदाओं व कतिपय रागों की जांच के लिए अस्पताल में संसाधन उपलेब्ध होने के बाद भी अनुचित रूप से ठेके पर सेवाएं ली गई व उपकरण मरम्मत योग्य होने के बावजूद नए उपकरणों की खरीद की गई।
इस रिपोर्ट में अस्पताल की खरीद करने वाले डॉक्टरों की कमेटी पर सवाल खड़े करते हुए लिखा गया है कि कमेटी ने खरीद प्रक्रिया में ना तो पारदर्शिता बरती और ना ही युक्तियुक्त प्रक्रिया अपनाई।
इतना ही नहीं कमेटी की ओर से दोगुने दामों में उपकरण खरीदे जाने के बारे में भी इस रिपोर्ट में बताया गया है।

-वर्ष, 2012, 2013 व 2014 में खरीद किए गए साढ़े तीन करोड़ रुपए के वेंटीलेटर गुणवत्ताविहीन थे, जो खरीदे जाने के दो-तीन वर्षों तक नकारा पड़े रहे। क्योंकि इनमें ह्यूमिडीफायर नहीं लगाया गया था, जिसकी वजह से वेंटीलेटर कोई कार्य नहीं करता है। यही नहीं वर्ष, 2015 में वेंटीलेटर खरीद करने के लिए दोबारा निविदा प्रकाशित कर दी गई। यह गौरतलब है कि उक्त वेंटीलेटर जिसकी वास्तविक कीमत 4.5 से 5 लाख रुपए है, उन्हें 15 लाख रुपए की दर से खरीदा गया।

-वर्ष,2013 व 2014 में मोलीक्यूलर रेजोनेंस जरेटर जिसका बाजार मूल्य 7 से 13 लाख रुपए है, वह 45 लाख रुपए में खरीदा गया तथा उसे ट्रोमा सेन्टर में इंस्टाल किया गया, लेकिन इसका उपयोग नहीं लिया गया।

-पीबीएम प्रशासन द्वारा वर्ष, 2013 व 2014 में फायर अलार्म सिस्टम की खरद 12 लाख रुपए में की गई। जबकि अस्पताल में उचित प्रकार से अग्निशमन यंत्र व फायर ब्रिगेड ही उपलब्ध नहीं थे। उस अलार्म सिस्टम की स्थापना व उपयोग क्या व किस प्रकार से किया गया तथा वर्तमान में वह कहां लगा हुआ है, ज्ञात नहीं है। इस प्रकार वस्तुओं की वास्तविक आवश्यकता व उनकी खरीद में तालमेल तथा औचित्य का पूर्णतया अभाव है।

आमजन की पीड़ा समझने वाले काबिल ऑफिसर डॉ. राकेश शर्मा ने रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अस्पताल प्रशासन के लचर रवैये व गैर जिम्मेदाराना रूख तथा वित्तीय अनियमितताओं के परिदृश्य का अनुमान प्रत्येक विभाग की अव्यवस्था को देख कर लगाया जा सकता है। स्टोर तथा क्रय मुख्य विभाग हैं जिनके अव्यवस्थित व अनियमित बने रहने व नियोजन व बजट प्रबंधन के अभाव व प्रशासनिक मनमानी का खमियाजा प्रत्येक विभाग को उठाना पड़ता है और अतत: आमजन को नुकसान व चिकित्सालय तथा सरकार की छवि खराब होती है।
गौरतलब है कि यहां हमारा उद्देश्य लचर सिस्टम के खिलाफ जनहित में आवाज उठाना है, मेडिकल कॉलेज और पीबीएम प्रशासन आमजन के टैक्स से मिले व दानदाताओं से मिले धन का सद्पयोग करे जिससे जनता का भला हो।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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