दुष्कर्म पीडि़ताओं और उनके परिजनों से प्रदेश में आकर नहीं मिले कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता
बीकानेर। हाथरस में दलित युवती से बलात्कार कांड को लेकर राजनीति अपने चरम पर पहुंच गई है। कांग्रेस इस मामले पर पूरी तरह मुखर है। कांग्रेस भले ही इस मामले को लेकर राजनीति कर रही हो लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान बलात्कार के मामलों में देश में नंबर एक पर है। हैरानी की बात है कि कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता यहां आकर किसी दुष्कर्म पीडि़ता या उसके परिजनों से नहीं मिले हैं।
प्रदेश के बारां में दो नाबालिग बहनों से कथित दुष्कर्म को लेकर अशोक गहलोत सरकार पर सवाल भी उठ रहे हैं। बारां शहर की दो नाबालिग बहनें 19 सितंबर को घर से गायब हो गई थीं, जिन्हें 22 सितंबर को कोटा से बरामद किया गया। बयान वगैरह दर्ज करने के बाद इन लड़कियों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस के अनुसार दोनों लड़कियों ने अपने 164 के बयानों में कहा कि उनसे कोई दुष्कर्म नहीं हुआ है। इन दोनों के मेडिकल चेकअप में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इन सबके बावजूद पहले थानागाजी और उसके बाद 18 सितम्बर को अलवर में ही एक विवाहिता के साथ हुए गैंगरेप की वारदात ने गहलोत सरकार के शासन की पोल खोल कर रख दी है।
राजस्थान में बेटियां कितनी असुरक्षित है, इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि प्रदेश में इस साल ही अब तक रोजाना औसत 14 महिलाओं के साथ बलात्कार और 24 के साथ छेड़छाड़ वारदात हुई है। आंकड़ों को देखें तो इस साल अगस्त तक प्रदेश में बलात्कार के 3498 और बेटियों के साथ छेड़छाड़ के 5779 केस दर्ज हो चुके हैं। जो अपने आप में बेहद निंदनीय और शर्मनाक है।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार पिछले छह वर्षों में कांग्रेस के शीर्षस्थ पदाधिकारी बीजेपी शासित प्रदेशों में इस प्रकार की वारदातों पर राजनीति करने से नहीं चूके हैं। जब भी कांग्रेस के नेताओं को इस प्रकार का मुद्दा मिलता है वे इस पर राजनीतिक रोटियां सेकते नजर आए हैं।
पिछले साल के ये रहे हैं आंकड़े
साल 2019 – दुष्कर्म की कुल घटनाएं
देशभर की स्थिति – 32033
टॉप – 5 राज्य की स्थिति
राजस्थान – 5997
उत्तर प्रदेश – 3065
मध्य प्रदेश – 2485
महाराष्ट्र – 2299
केरल – 2023
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