प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का सियासी पारा परवान पर

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Political mercury of Congress and BJP in the state

सचिन पायलट समर्थक विधायक अभी नहीं हुए शांत

वसुंधरा विरोधियों की पार्टी में वापसी की तैयारी

बीकानेर। प्रदेश का सियासी पारा अभी भी काफी गरम महसूस किया जा रहा है। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा दोनों में आंतरिक खींचतान चरम पर नजर आ रही है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तकरीबन 35 दिनों तक चली खींचतान के बाद कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद दोनों नेताओं में दिखावे के लिए तो सुलह हो गई, लेकिन उनके समर्थकों में अभी भी एक-दूसरे के खिलाफ विरोध की आग सुलगती देखी जा रही है। वहीं, भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विरोधी नेता एक साथ आ रहे हैं। वसुंधरा राजे का विरोध करते हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा छोडऩे वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी में वापसी की कवायद तेज हो गई।

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेता घनश्याम तिवाड़ी की वापसी को लेकर सक्रिय हुए हैं। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत, भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, गुलाबचंद कटारिया व विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ पार्टी आलाकमान के समक्ष तिवाड़ी की वापसी को लेकर भूमिका बनाने में जुटे हैं।

वसुंधरा राजे विरोधी खेमा पिछले डेढ़ साल से उनके खिलाफ माहौल बनाने में जुटा है। यह खेमा वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीति की मुख्य धारा से अलग करना चाहते हैं। इसी के तहत वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका सार्वजनिक रूप से विरोध करने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को फिर से भाजपा में शामिल किया जा रहा है। वसुंधरा राजे से नाराजगी के चलते तिवाड़ी ने पिछले विधानसभा चुनाव में नई पार्टी बनाई थी और फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

इधर, आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद गहलोत और पायलट के बीच ऊपरी तौर विवाद शांत हो गया, लेकिन पायलट समर्थक विधायकों ने सत्ता और संगठन में हिस्सेदारी को लेकर आवाज बुलंद कर रखी है। पायलट समर्थक विधायक कई बार मीडिया के सामने कह चुके हैं कि सरकार प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में ध्यान नहीं दे रही है, कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो रहे हैं। डेढ़ साल में जनता के विश्वास पर कांग्रेस सरकार काम नहीं कर पा रही है। सीएम ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम दिल्ली आलाकमान के पास गए थे। हम पद के भूखे नहीं हैं, हमें सम्मान चाहिए।

वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा दोनों के अन्दर ही आपसी खींचतान चल रही है, जिसकी वजह से प्रदेश में आमजन के काम प्रभावित हो गए हैं। विधायकों में भी आपसी गतिरोध पनपने लगा है। कुल मिलाकर प्रदेश में सियासी पारा अभी उतरा नहीं है बल्कि और भी चढ़ गया है।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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