प्रशासन ने ठंडे बस्ते में डाला प्रकरण को
सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
बीकानेर। कोरोनाकाल में मास्क, सेनेटाइजर और व हाइपोक्लोराइट खरीद के मामले की जांच सवा दो महीने बाद भी ज्यों की त्यों पड़ी हुई है। इस घोटाले की जांच के लिए बनी कमेटी ने भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हैरानी की बात तो यह है कि आला प्रशासनिक अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद भी भ्रष्टाचार करने के आरोपी आज भी अपने पद पर बने हुए हैं।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच के लिए दस जून,2020 को कार्यालय जिला कलेक्टर (सहायता) की ओर से आदेश जारी किए गए थे, जिसमें भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की अध्यक्ष अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर सुनीता चौधरी को बनाया गया था, साथ ही इसमें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. देवेन्द्र चौधरी और जिला कोषाधिकारी पवन कस्वां को शामिल किया गया था। इस आदेश में इस मामले की सात दिनों में जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन अफसोस की बात है कि प्रशासन ने ही भ्रष्टाचार के इस मामले को ठंडे बस्ते में डालकर गहलोत सरकार की छवि को धूमिल करने की सफल कोशिश की है।
सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा पर लगे थे घोटाले के आरोप
कोरोनाकाल के शुरुआती दिनों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से मास्क, सेनेटाइजर व हाइपोक्लोराइट सहित अन्य सामग्री की तकरीबन 29 लाख रुपए की खरीद की गई थी। इस खरीद में एन-95 मास्क गुणवत्ताविहिन और ज्यादा कीमत से खरीद करने के आरोप सीएमएचओ डॉ. मीणा पर लगे थे।
डॉ. मीणा ने उस दौरान सांसद कार्यालय एक हजार मास्क भेजे जाने की बात कहकर अपना बचाव किया था। बाद में जब यह घोटाला उजागर होने लगा तो सीएमएचओ ने मास्क सप्लाई करने वाली फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली थी। लाखों रुपए का घोटाला करने के बाद आज भी सीएमएचओ जिला प्रशासन के चहेते बने हुए हैं।
#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com