विपक्ष में वोट देते ही पायलट गुट के विधायकों को दिया जाएगा नोटिस
बीकानेर। प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच लड़ाई जल्दी खत्म होती नजर नहीं आ रही है। अदालत में लड़ी जा रही यह सियासी जंग लंबी चलेगी। अशोक गहलोत अब विधानसभा सत्र के जरिए अपनी बढ़त बनाने की कोशिश में हैं। यही वजह है कि गहलोत अपने विधायकों के साथ राजभवन के घेराव पर उतर आए।
जयपुर बैठे राजनीतिक पंडितों के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके रणनीतिकार मानते हैं कि अदालत में यह लड़ाई लंबी चलेगी। गहलोत अब विधानसभा के अंदर अपना बहुमत साबित कर अपनी बढ़त बनाना चाहते हैं। विधानसभा में बहुमत साबित करने से गहलोत के एक साथ दो फायदे हैं। इसलिए उनकी कोशिश है जल्द से जल्द सत्र बुलाया जाए।
विधानसभा में बहुमत साबित करने से पायलट और उनके समर्थकों का यह दावा गलत साबित हो जाएगा कि सरकार अल्पमत में हैं। पर इससे ज्यादा बड़ा फायदा यह होगा कि मुख्यमंत्री को अपने समर्थकों को होटल में संभाल कर नहीं रखना पड़ेगा। गहलोत के पास फिलहाल बहुमत है। गहलोत पुराने राजनीतिज्ञ हैं, ऐसे में वह जानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में इसे संभालकर रखना मुश्किल है।
राजनीति से जुड़े लोगों के अनुसार बहुमत साबित करने के बाद गहलोत सरकार को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए वक्त मिल जाएगा। इसके साथ सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर एक और नोटिस की तलवार लटक जाएगी। क्योंकि पायलट और उनके समर्थक गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करते हैं तो उन्हें फिर नोटिस जारी किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि विधानसभा की कार्यवाही के लिए जारी किए व्हिप के उल्लंघन के बाद पायलट और उनके समर्थकों के पास कानूनी तौर पर ज्यादा विकल्प नहीं बचेंगे। यही वजह है कि भाजपा विधानसभा का सत्र बुलाने की इजाजत देने में देर कर रही है। पर राज्यपाल को आखिरकार इसकी इजाजत देनी होगी।
इस बीच पार्टी के अंदर इस पर भी मंथन चल रहा है कि वह इस पूरे सियासी घटनाक्रम से राजनीतिक तौर पर लडऩे में विफल रही है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि इस पूरी लड़ाई में हमारी तरफ से गलतियां हुईं हैं। राज्यसभा चुनाव के फौरन बाद ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी।
#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com