बीकानेर। प्रदेश की राजनीति से सचिन पायलट को दूर करने में जुटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विश्वस्तों के साथ चर्चा में साफ कर दिया है कि वे अब किसी भी हालात में पायलट और उनके तीन समर्थकों विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा व भंवरलाल शर्मा को पार्टी में नहीं रखना चाहते। विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को पिछले दिनों पायलट के साथ ही मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था।
सियासी गलियारों से जुड़े सूत्रों के अनुसार गहलोत चाहते हैं कि पायलट प्रदेश की राजनीति से तो दूर हो ही जाएं, साथ ही दिल्ली के दरवाजे भी उनके लिए बंद हो जाए। कांग्रेस आलाकमान से सचिन पायलट की दूरी बढ़ाने को लेकर पिछले दस-बारह दिनों में गहलोत ने वो सब किया, जो उनके अब तक के राजनीतिक केरियर में उन्होंने कभी नहीं किया।
सूत्र बताते हैं कि स्व. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम कर चुके प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं का भी मानना है कि पिछले तीन दशक में गहलोत इतने आक्रामक ढंग से कभी किसी के लिए भी नहीं बोले, जितना सचिन पायलट के लिए वे मीडिया के सामने बोले। गहलोत ने पायलट को नाकारा व निकम्मा बताने के साथ ही मुंबई के कॉरपोरेट हाउस से फंडिंग लेने जैसे आरोप लगा दिए। गहलोत ने पिछले दस-बारह दिनों में पायलट पर कई व्यक्तिगत आरोप लगाए हैं। गहलोत ने पायलट पर मुंबई के कॉरपोरेट हाउस की मदद से कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सपने देखने का आरोप लगाया है।
इसका कारण साफ है कि गहलोत नहीं चाहते कि पायलट कांग्रेस में रहें। वे ऐसा माहौल बना देना चाहते हैं कि जिससे पायलट कांग्रेस में नहीं रह सकें। गहलोत को एक गंभीर नेता माना जाता है। केंद्रीय मंत्री रहे हो या कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सीएम रहे हो, वे बड़े सोच-विचार कर बोलने वाले नेता माने जाते हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने पायलट के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे साफ लगता है कि वे पायलट को पार्टी में रखने के पक्ष में नहीं हैं।
दिल्ली भेजे सबूत
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक गहलोत के खिलाफ बगावत के बावजूद कांग्रेस के कुछ राष्ट्रीय नेता चाहते हैं कि सचिन पायलट के लिए वापसी के दरवाजे खुले रहें, लेकिन गहलोत यह नहीं चाहते हैं, इसलिए वे पायलट पर लगातार निशाना साध रहे हैं। गहलोत ने प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के माध्यम से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तक कई ऐसे सबूत भेजे हैं, जो पायलट के खिलाफ हैं। इनमें विधायकों की खरीद-फरोख्त, ऑडियो मामला और सार्वजनिक रूप से सीएम के खिलाफ टिप्पणी करने के दस्तावेज शामिल बताए जा रहे हैं।
वहीं, सचिन पायलट ने अभी तक पार्टी नेतृत्व और कांग्रेस के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला है। वह लगातार यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी लड़ाई पार्टी नहीं बल्कि मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ है। सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने पायलट के खिलाफ कई सबूत पार्टी नेतृत्व को सौंपे हैं। इन सब आरोपों के बावजूद पार्टी पायलट को लेकर नरम रुख अपनाए हुए है। गहलोत अपने करीबी प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं के माध्यम से आलाकमान तक यह संदेश पहुंचाने में जुटे हैं कि जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। अब देखना यह होगा कि कल हाई कोर्ट का क्या फैसला आता है और इस फैसले के बाद पार्टी आलाकमान और मुख्यमंत्री गहलोत पायलट और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ पार्टी स्तर पर क्या कार्रवाई करते हैं।
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