बेसहारा लोगों का रखवाला कौन? कर्फ्यू ने छीना मुंह का निवाला

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बीकानेर रेलवे स्टेशन पर दोनों तरफ मौजूद हैं बेसहारा लोग

दिहाड़ी मजदूर और ठेले वाले भी हो रहे परेशान

बीकानेर। कोरोना महामारी को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से आधेे शहर में कर्फ्यू ने बीकानेर रेलवे स्टेशन और आस-पास रह रहे बेसहारा लोगों के मुंह से निवाला छीन लिया है। अब ये बेसहारा लोग सरकार और प्रशासन से भोजन देने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर रेलवे स्टेशन के मुख्य दरवाजे और द्वितीय दरवाजे के आस-पास रहने वाले बेेसहारा लोग पिछले तीन दिनों से भोजन नहीं मिलने की वजह से काफी परेशान हैं। भूख से पीडि़त ये लोग दिन में कई बार वहां ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों से भोजन की मांग करते रहते हैं। हालांकि कुछ बड़े दिलवाले पुलिसकर्मी इन्हें अपने भोजन में से खाने के लिए दे देते हैं लेकिन स्थायी व्यवस्था नहीं होने से इन लोगों के चेहरे पर बीमार होने से मरने की बजाय भूख से मरने की चिंताएं परिलक्षित हो रही हैं। जानकारी के मुताबिक आज कुछ लोगों ने कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों को रेलवे स्टेशन और आस-पास रह रहे बेसहारा लोगों के भूखे होने की सूचना दी। संगठन के पदाधिकारियों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि पिछले दो दिनों से लगातार इन बेेसहारा लोगों के भूखे रहने की सूचनाएं देते हुए लोग इनके भोजन की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रशासन ने कर्फ्यू लगे क्षेत्र में अनुमत वाहनों के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है। ऐसे में जो लोग इन बेसहारा लोगों की सेवा करना भी चाहें तो वे नहीं कर सकते हैं।

दरअसल, बीकानेर रेलवे स्टेेशन और आस-पास के क्षेत्र में बहुत से ऐसे बेसहारा लोग हैं जो वहां की होटलों और अन्य दुकानों से मिली सहायता पर निर्भर हैं। अब कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए शहर के तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिसकी वजह से इन लोगों को दूसरे लोगों से भोजन व अन्य सहायता मिलनी बंद हो गई है, जिससे इनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या आन खड़ी हुई है।

ठेले वाले और दिहाड़ी मजदूर भी हैं परेशान

कर्फ्यू लगने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी ठेले लगाने वालों और दिहाड़ी मजदूरों को झेलनी पड़ रही है। इन लोगों की दिनचर्या रोजाना मिलने वाली देनगी से ही चलती रही है। अब कर्फ्यू लगने के बाद इन लोगों की आमदनी बंद हो गई है। ऐसे में इन्हें भी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने में काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। कई मजदूरों ने तो यहां कह दिया कि बीमारी अगर लगती है तो लग जाए, परिवार पालने के लिए काम तो करना ही पड़ेगा।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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