33 में से 22 जिलों में नहीं हुआ एक भी रुपया खर्च
शासन की नहीं सुन रहा प्रशासन
बीकानेर। प्रदेश में सरकारी चिकित्सा संस्थानों को कोरोना संक्रमण से लडऩे के लिए उपलब्ध कराए गए 600 करोड़ रुपए के बजट में से सिर्फ 15 करोड़ का ही उपयोग किया गया है। प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में अभी तक इस बजट से एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है।
जयपुर बैठे सूूत्रों के मुताबिक जिलों के अस्पतालों में वेंटिलेटर सहित अन्य जीवन रक्षक उपकरणों की खरीद के लिए राज्य सरकार ने डिस्ट्रिक मिनरल फांउडेशन के जरिए 600 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था, लेकिन 22 जिलों ने बजट उपलब्ध होने के बावजूद रुपए का उपयोग नहीं किया।
चिकित्सा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब तक 11 जिलों ने मात्र 15 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। इस बजट से मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों व जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर, बाइपैप मशीन, कोरोना जांच प्रयोगशालाओं के लिए उपकरण खरीदे जाने थे, लेकिन 22 जिलों में अब तक इन जीवन रक्षक उपकरणों की खरीद नहीं हो सकी है। प्रदेश की राजधानी में कोरोना का सबसे ज्यादा प्रकोप होने के बावजूद यहां मात्र 2 करोड़ के उपकरणों की खरीद हुई है। कोरोना के केंद्र बने जोधपुर, उदयपुर व कोटा जिलों में खरीद ही नहीं हुई।
सूत्रों ने बताया कि चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कई बार जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बजट का उपयोग कर आवश्यक उपकरणों की खरीद के निर्देश दिए, लेकिन मई के दूसरे सप्ताह तक ज्यादातर जिलों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण के खिलाफ आम आदमी और स्वयंसेवी संगठनों से लेकर सरकार तक एकजुट हैं, कोरोना के खिलाफ लडऩे के लिए बड़ी संख्या में दानदाताओं ने सीएम राहत कोष में मदद की है। वहीं सरकारी अधिकारी हैं कि बजट उपलब्ध होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार अजमेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, चूरू, डूंगरपुर, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद व जयपुर जिलों में ही कुछ हद तक बजट खर्च किया गया है। शेष 22 जिलों में एक रुपए भी खर्च नहीं किया गया है।
Kamal kant sharma and Bhawani joshi newsfastweb.com