सेलर्स ने इंटरनेट को बनाया है बिक्री का माध्यम
दिल्ली। कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून की बिक्री इंटरनेट पर अवैध तरीके से की जा रही है। कोरोना के इलाज और वैक्सीन के नाम पर मरीजों के खून को डार्कनेट पर बेचा जा रहा है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। डार्कनेट पर मौजूद सेलर अलग-अलग देशों से शिपिंग करके विदेशों में डिलीवरी करा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिंदगी भर के लिए कोरोना से इम्यून बनाने के दावे के साथ कोरोना मरीजों के ब्लड को लाखों रुपये में बेचा जा रहा है। एक लीटर ब्लड का दाम 10 लाख रुपये तक रखा गया है। ब्लड के साथ अवैध रूप से पीपीई, मास्क, टेस्ट किट सहित अन्य सामान भी ऊंचे दाम पर बेचे जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 12 अलग-अलग डार्कनेट मार्केट पर ये सामान बेचे जा रहे हैं।
डार्कनेट पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि दुनियाभर में कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के जरिए पीपीई और अन्य सामान हासिल किए गए हैं। बेचने वाले इन सामानों को अलग-अलग देशों में डिलीवरी कराने को भी तैयार हैं। ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट अमेरिका से जबकि कुछ प्रोडक्ट यूरोप, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से शिपिंग के लिए मौजूद बताए गए थे। विज्ञान जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि महामारी के वक्त कुछ लोग आपराधिक तरीके से कमाई की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में ये बढ़ सकता है। इसलिए कड़ी मॉनिटरिंग की जरूरत है ताकि इसे बंद किया जा सके।