बीकानेर। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव इस बार पुलिस महकमे के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होंगे। इसका कारण अपराध जगत में सुर्खियों में रहे कई बाहुबलियों का इस बार सियासी समर में दमखम दिखाने की ललक या अपने किसी परिवारजन को विधानसभा में पहुंचाने की चाहत है।
ऐसे में जब अपराध की डगर पर चलने वाले इन दबंगों से पुलिस पहले से ही आहत है तो उनके ‘समाजसेवा’ के नाम पर नई पारी खेलने की तैयारी चुनावों को प्रभावित नहीं कर पाए, इसके जतन कैसे किए जाएंगे, इसने महकमे में शीर्ष स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से सुनाई पड़ रही इस धमक को लेकर प्रदेश पुलिस अभी से आने वाले समय की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुट गई है।
उत्तरप्रदेश और बिहार में जिस तरह से संगीन अपराध करने वाले बदमाश जेल से चुनाव लड़ते या उनके निकट रिश्तेदार चुनाव लड़ते हैं, उसी तर्ज पर इस बार प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में राज्य इतिहास में पहली बार अपराध जगत से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा कुख्यात अपराधियों के परिजन या वे स्वयं अपना दमखम दिखने की तैयारी कर रहे हैं।
जिससे विधानसभा चुनावों में अपराधियों की धमक के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के लिए नई परेशानी खड़ी होने जा रही है। उनमें से तीन तो इस समय सरपंच पद पर कार्यरत हैं।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रदेश में अपराध जगत के चर्चित चेहरे जो लूट, हत्या के प्रयास, गैंगवार में शामिल, नकबजनी और वाहन चोरी जैसे अपराध से जुड़े शातिर अपराधी विधानसभा चुनाव के समर में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
पुलिस के लिए परेशानी
इस बार के चुनावों में अपराधियों के चुनाव लडऩे से पुलिस के सामने आपसी रंजिश, गैंगवार की ज्यादा आशंका के चलते नया सिरदर्द बढऩा तय है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में जिला स्तर पर चुनाव पॉलिसी के तहत हुए परिवर्तन में ज्यादातर नए पुलिस अधिकारियों को ना तो इलाके पता हैं न ही कोई जानकारी हैं। जिसके चलते चुनावों के दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था को लेकर नई परेशानी खड़ी हो सकती है।
इन विधानसभा क्षेत्रों में उतर सकते हैं बाहुबली या उनके परिजन
प्रदेश में कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां से बाहुबली या उनके परिजन चुनाव मैदान मे प्रत्याशी बन सकते हैं।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक डीडवाना, टोडाभीम, नागौर जिले का जायल विधानसभा क्षेत्र, श्रीमाधोपुर, दौसा, सवाई माधोपुर जिले की बामनवास विधानसभा सीट।
यह तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, इसके अलावा जेल में बंद कई हार्डकोर बदमाश इस बार विधानसभा चुनावों में किसी न किसी तरीके से ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं।