मन की बात सोशल मीडिया ग्रुप की पहल, आनन्द आश्रम में अनाथ बच्चों को बांटी खुशियां
बीकानेर। दूसरों के जीवन मे खुशियों का प्रकाश फैलाना ही सही मायनों में दीपावली है। यूं तो सभी लोग अपने परिवार के साथ धूमधाम प्रकाश के इस पर्व को मनाते हैं लेकिन बीकानेर के कुुछ लोग हर दीपावली पर आनंद आश्रम के अनाथ बच्चों के साथ अपनी दीपावली मना कर खुशियों का इजहार करते हैं।
फिल्मी गीत ‘अपने लिए जिये तो क्या जिये…. जीए तो ऐ दिल, जमाने के लिए…..।’ बीकानेर के इस सोशल मीडिया ग्रुप के सदस्यों पर सटीक बैठता है। जी हां, कुछ इसी तरह का संदेश देते यह पुरुष, महिला, युवा और बच्चे इन असहाय बच्चों के साथ दीपावली का उत्सव मना रहे हंै।
न्यूजफास्ट वेब के रिपोर्टर ने जब मन की बात ग्रुप के सदस्यों से बात की तो पता लगा कि उनका मानना है कि दीपावली हंसी और खुशी का त्योहार है, इसलिए हर चेहरे पर खुशी रहे, इसी उद्देश्य के साथ हर वर्ष ये लोग इन बच्चों के पास आते हैं और पटाखे, मिठाइयां भेंट करते हैं, साथ ही डांस करके इनके साथ अपनी खुशियों का इजहार करते हैं ताकि इन बच्चों को यह ना लगे कि इस दुनिया में इनका कोई नहीं है। newsfastweb.com
ग्रुप के सदस्यों ने अपनों से महरूम बच्चों के प्रति खूब स्नेह किया और इन्हे कपड़े, मिठाइयां और पटाखे बांटकर इन अनाथ बच्चों को अपनेपन का अहसास कराया जिसकी खुशी इनके चेहरों पर साफ दिखी। इनके साथ आतिशबाजी की गई और गानोंपर इन बच्चों के साथ खूब डांस किया।
ग्रुप के सदस्यों ने जमाने भर के लोगों को संदेश भी दिया कि सही मायने में दीपावली का मतलब यही है कि हर दिल में खुशियों का दीप जले और जिनका कोई नहीं है उनके घरों और दिलों में भी खुशियों के दीप जलें क्योकि खुशियां बांटने से ही बढ़ती है। आनंद आश्रम के अनाथ बच्चों के चेहरे पर जब त्योहार की खुशी खिली तो मानो दिवाली भी खिलखिला पड़ी। लगा रोशनी के इस त्योहार का यही असली रंग है। इस रंग को यदि हर कोई महसूस करे, आगे बढ़कर पहल करे तो त्योहारों को सही मायने मिलने लगेंगे।
kamal kant sharma newsfastweb.com