धरातल पर कब उतरेगी ऑनलाइन एफआईआर योजना

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ऑनलाइन एफआईआर

पीएम मोदी के सपने को प्रदेश की पुलिस लगा रही पलीता, संसाधन पूरे लेकिन इच्छा शक्ति की कमी

बीकानेर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को प्रदेश की पुलिस पलीता लगा रही है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ऑनलाइन एफआईआर योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है। योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए पुलिस के पास संसाधन तो पूरे हैं लेकिन उसमें इच्छा शक्ति की कमी दिखाई दे रही है। newsfastweb.com

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विभाग के विश्वस्त सूत्रों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि अपराध के आंकड़े कम दिखाने के चक्कर में पुलिस एफआईआर दर्ज करने से कतराती है और पीडि़त को टरकाती रहती है। जबकि पीडि़त की एफआईआर तुरंत दर्ज करने को लेकर प्रदेश के डीजीपी सख्त निर्देश दे चुके हैं। अभी कुछ दिनों पहले ऐसे स्टिंग कर ऐसे मामलों में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी कर चुके हैं। ऑनलाइन एफआईआर योजना शुरू नहीं करने की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि इसके शुरू होने पर पुलिसकर्मियों की पोल खुल कर सामने आने लगेगी।

कुछ मामलों की एफआईआर ही ऑनलाइन

ऑनलाइन एफआईआर के नाम पर सिर्फ चुनिंदा मामलों को ही शामिल किया गया है। न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के मुताबिक इसमें वाहन चोरी, गुमशुदगी सहित अन्य छोटे मामले शामिल हैं। जबकि सभी प्रकार के अपराधों की एफआईआर ऑनलाइन दर्ज की जानी चाहिए। पीएम मोदी के डिजिटल को बढ़ावा देने की योजना के तहत सभी सरकारी काम ऑनलाइन करने की कवायद जारी है। ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में इसकी पालना भी की जा रही है लेकिन पुलिस महकमा इस मामले में काफी पीछे चल रहा है।

साइट नहीं रहती है अपडेट

प्रदेश के पुलिस महकमे की साइट भी अपडेट नहीं रहती है। प्रदेश भर के थानों व उनमें तैनात पुलिसकर्मियों के मोबाइल नंबर अपडेट नहीं रहते हैं। इससे आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति उस समय ज्यादा विकराल हो जाती है जब एक साथ काफी संख्या में पुलिसकर्मियों के तबादले किए जाते हैं।

पांच वर्ष में सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट भी है अधुरा

पुलिस के सभी कामों को ऑनलाइन करने के लिए वर्ष, 2014 में करोड़ों रुपए खर्च कर सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट लाया गया था। इस योजना की शुरुआत राजस्थान के साथ अन्य राज्यों में की गई थी। इसमें ऑनलाइन एफआईआर, क्राइम डाटा, अपराधियों की जानकारी, अपराधों के तरीकों सहित अन्य प्रकार की जानकारी आमजन से साझा की जानी थी।

क्राइम डाटा, हार्डकोर अपराधियों की जानकारी सहित अन्य जानकारी तो ऑनलाइन हो गई लेकिन ऑनलाइन एफआईआर की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में ऑनलाइन एफआईआर की शुरुआत कर दी गई है लेकिन प्रदेश में ये योजना अभी भी अधरझूल में है।

Kamal kant sharma newsfastweb.com

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