भजनों में मौलिकता होना जरूरी : अनूप जलोटा

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अनूप जलोटा

श्रीमद् भागवत कथा अब उर्दू शेरों के माध्यम से भी

बीकानेर। भजन गायक अनूप जलोटा आज मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि भजनों में मौलिकता होना जरूरी है। भजनों में मौलिकता, भाव और शास्त्रीय संगीत का समावेश होगा तो भजन लम्बे समय तक सुना जाएगा।

जलोटा यहां आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में आए हुए हैं। उन्होंने बताया कि ‘ऐसी लागी लगन’ और ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो’ भजन चालीस साल पहले गाए थे, आज भी इन भजनों को काफी पसन्द किया जा रहा है। आज के दौर में भजनों में फूहड़ता आ गई है।

इसलिए लोग ऐसे भजनों को ज्यादा समय तक नहीं सुनते हैं। उन्होंने नए गायकों को संदेश देते हुए कहा कि भजनों में मौलिकता, भाव शामिल करें तो श्रोता लम्बे समय तक उनकों सुनेंगे। जलोटा ने बताया कि सामान्य तौर पर श्रीमद् भागवत कथा को हिन्दी व संस्कृत में पढऩे या सुनने का मौका मिलता है। लेकिन अब भागवत कथा को उर्दू शेरों के माध्यम से भी सुना जा सकेगा।

जलोटा ने इसकी रिकॉर्डिंग कर ली है और जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस इसका विमोचन करेंगे। उन्होंने कहा कि ये एक नवाचार है जो अन्य भजनों की तरह आमजन को पसंद आएगा। गजलों के नहीं गाए जाने के सवाल पर जलोटा ने कहा कि गजलों में उर्दू शब्द काफी ज्यादा होते हैं जो बहुत से लोगों को समझ नहीं आते हैं, जबकि भजनों में हिन्दी शब्द ही होते हैं और लोग उन्हें ज्यादा पसन्द करते हैं, इसीलिए वे भजन गाना ज्यादा उचित समझते हैं।

 

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