अब मां और नवजात पीबीएम अस्पताल में सकुशल, लचर सिस्टम से ग्रस्त है नारी निकेतन
बीकानेर। लालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक विक्षिप्त महिला के प्रसव हुआ है। पहले तो प्रसुता अपने नवजात के साथ प्लेटफार्म पर ही उपेक्षित पड़ी रही। बाद में जब जीआरपी को इसका पता लगा तो उन्होंने समाजसेवी आदर्श शर्मा की मदद से प्रसुता और उसके नवजात को एम्बूलेंस के जरिए पीबीएम भिजवाया।
जानकारी के अनुसार घटना रविवार शाम की है। एक मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला जो न बोल सकती है और न ही सुन सकती है, इस महिला के प्रसव लालगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर हो गया। काफी देर तक इस प्रसुता की खैर-खबर लेने वाला कोई नहीं था। बाद में जीआरपी को इसका पता लगा तो जीआरपी थाने के प्रभारी मूलसिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने समाजसेवी और पार्षद आदर्श शर्मा को मौके पर बुलवाया और उनकी मदद से एम्बूलेंस बुलवाकर प्रसुता को पीबीएम अस्पताल भिजवाया।
एडीएम के निर्देश पर ही कार्रवाई पर काम करता है नारी निकेतन
इसे लचर सिस्टम कहें या लाल फिताशाही, लेकिन हकीकत ये है कि सरकारी तंत्र भी स्वयं आगे बढ़कर इस प्रकार की समस्याओं का समाधान नहीं करते देखा जाता है। इस प्रकार भटक रही महिलाओं या युवतियों के बारे में जब नारी निकेतन में सूचना दी जाती है तो वहां से सूचना देने वाले को यही जवाब मिलता है कि एडीएम साहब से निर्देश मिलने पर ही कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकरण में भी ऐसा ही हुआ है।
समाजसेवी आदर्श शर्मा ने इस बारे में नारी निकेतन को सूचित किया तो वहां से उन्हें भी यही जवाब मिला कि एडीएम साहब के आदेश के बाद ही इस प्रसुता की देखरेख नारी निकेतन करेगा। इतना ही नहीं जीआरपी थानाधिकारी ने भी इस बारे में नारी निकेतन को पत्र भेजकर प्रसुता के हालातों के बारे में जानकारी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए समाजसेवी आदर्श शर्मा ने एडीएम को अवगत कराया। फिलहाल प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या के समाधान में जुटे हुए हैें और प्रसुता अपने नवजात के साथ पीबीएम अस्पताल में भर्ती है।
नहीं दिखी लोगों की संवेदनाएं
लालगढ़ रेलवे स्टेशन पर ज्यादा भीड़ तो हमेशा नहीं रहती है लेकिन वहां रेलवे कर्मी, सुरक्षा बल और अन्य लोगों की मौजूदगी तो हमेशा बनी रहती है। देर रात तक भी स्टेशन के दोनों तरफ की होटलें, रेस्तरां, ऑटो चालकों की भीड़ लगी रहती है।
प्लेटफार्म पर मौजूद महिला को प्रसव होने से पहले भी वहां लोगों ने देखा होगा और प्रसव होने के बाद भी। ऐसी स्थिति में लोगों ने उसे अस्पताल भिजवाने या सुरक्षा बलों या किसी जिम्मेदार एजेंसी को इस बारे में सूचना देना भी उचित नहीं समझा। ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि धर्मनगरी के रूप में पहचान रखने वाले इस शहर के लोगों में संवेदनाएं खत्म हो चुकी हैं या फिर वे इंसानियत से दूर होते जा रहे हैं?