सरकार बदलते ही दम तोडऩे लगी अन्नपूर्णा दूध योजना

0
212
अन्नपूर्णा दूध योजना

सरकार कर रही समीक्षा, स्कूली बालक तरस रहे दूध को।

बीकानेर। भाजपा सरकार के शासन में शुरू हुई अन्नपूर्णा दूध योजना अब कांग्रेस सरकार के शासन में दम तोड़ती नजर आ रही है। स्कूलों में अब बच्चों को दूध पिलाना मुश्किल होता जा रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले कई महीनों से संस्था प्रधानों को दूध का बजट नहीं दिया गया जिसकी वजह से अब ये योजना बंद होती दिखाई दे रही है।

पिछले तीन महीनों से ज्यादा समय बीत गया लेकिन दूध का बजट स्कूलों में नहीं पहुंचा है। इतने दिनों तक संस्था प्रधान अपने पैसों से या उधार लेकर शाला में पढऩे वाले बच्चों को दूध परोस रहे थे लेकिन अब हालात उनके बस से भी बाहर होने लगे हैं। ऐसे में स्कूल में आए बालक अब दूध नहीं पी सकेंगे। बताया जा रहा है कि वित्त विभागएजयपुर की ओर से हाल ही में स्कूलों में दूध के लिए बजट जारी किया गयाए लेकिन अब यह बजट कोषागार में पिछले कई दिनों से अटका पड़ा है।

पिछले दिनों निजी स्कूलों के संगठन पेपा के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि सत्ता में जब कोई सरकार आती है तो वह पहले से चल रही योजनाओं की समीक्षा करती है, जरूरत होने पर उसमें बदलाव भी करती है। अगर योजना कारगर साबित नहीं हो रही हो तो उसे बन्द भी करती है। अन्नपूर्णा दूध योजना की समीक्षा की जा रही है।

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सरकारी स्कूलों में पढऩे के लिए आने वाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की थी।

दिसम्बर में प्रदेश में नई सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रियों ने पूर्व सरकार के शासन में शुरू की गई योजनाओं की समीक्षा करने की बात कह कर कई योजनाओं को ठण्डे बस्ते में डाल दिया। हालांकि अन्नपूर्णा दूध योजना को कांग्रेस सरकार ने अभी तक ठण्डे बस्ते में नहीं डाला है लेकिन इस प्रकार की उपेक्षा किए जाने से गहलोत सरकार पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here