राव कांधल का स्मरण, दी श्रद्धांजलि

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राव कांधल के बलिदान दिवस पर आज स्मरण सभा आयोजित

बीकानेर। दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों के लिए जन्म लेते हैं और पूरी जिन्दगी दूसरों के लिए ही जीते हैं। इनमें कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो दूसरों के लिए बलिदान भी दे देते हैं। इन्ही में से एक नाम है राव कांधल का।

ये उद्गार क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष बजरंग सिंह रॉयल ने बीदासर हाउस में क्षत्रिय सभा की ओर से राव कांधल के बलिदान दिवस पर आयोजित स्मरण सभा में व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि वीर-धीर एवं पराक्रम के

राव कांधल

पर्याय रावत कांधलजी किसी बड़े राज्य अथवा बड़े भूभाग के मालिक नहीं थे लेकिन उनके साहस, शौर्य एवं स्वाभिमान की बात करें तो लगता है कि उन जैसा और कोई नहीं था।

सेवानिवृत बिग्रेडियर जगमाल सिंह ने कहा कि उनके पराक्रम से ही मारवाड़ में राठौड़ों का शासन कायम हो पाया था। ईश्वर सिंह ने कहा कि राव कांधल की कुछ विशिष्टताओं के कारण पिता रणमलजी की इनसे कुछ विशेष ही अपेक्षाएं थी। इसी कारण उनको विधिवत शिक्षण, घुड़सवारी, आखेट, अस्त्र-शस्त्र संचालन, तलवार, कटार, भाला आदि शस्त्रों को उपयोग में लेना, रणभूमि में लडऩा, सैन्य संचालन करना, मान-मर्यादाओं और परम्पराओं पर चलने की शिक्षा सुचारू रूप से दी गई थी।

कानसिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एक महान् वीर एवं कुशल योद्धा के रूप में उभरे। इस अवसर पर हींगलाज दान ने कहा कि उनके तेजस्वीता का परिणाम था कि रणमल ने अपने अस्तबल का सबसे अच्छा जेठो घोड़ा कांधल को ही दिया था।

इस मौके पर करणीदान चारण ने भी कांधल के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। स्मरण सभा में कांधल के बंशज महावीर सिंह, अभय सिंह, रामसिंह, कुलदीप सिंह, कैप्टन प्रभूसिंह, रविन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह चौहान ने शिरकत की।

 

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