भारत-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास में 72 घंटे का सत्यापन प्रशिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न
बाज और ड्रोन से दुश्मन के ठिकानों और स्थिति का पता लगाकर किया गया हमला
बीकानेर। भारत-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास में शुक्रवार को 72 घंटे का सत्यापन अभ्यास सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अभ्यास के तहत एक गांव में घुसे तीन आतंकवादियों को दोनों देशों के सैनिकों की संयुक्त सेना ने मार गिराया। इस हमले में सैनिकों ने अपाचे, प्रचंड और रूद्र हेलिकॉप्टर सहित हॉवित्जर, पिनाका रॉकेट लॉंचर सिस्टम जैसे अत्याधुनिक और घातक हथियारों का उपयोग किया।
72 घंटे के इस सत्यापन अभ्यास में सेना को सूचना मिलती है कि चीडासर गांव में आतंकवादी घुस आए हैं, जिन्होंने ग्रामीणों को बंधक बना लिया है। सूचना मिलने के साथ ही सेना आतंकवादियों को घेरना शुरू कर देती है। आतंकवादियों के ठिकानों और स्थिति को जानने के लिए ड्रोन और बाज का उपयोग किया। इसके बाद सैनिकों ने अपाचे, प्रचंड और रूद्र जैसे कॉम्बेट हेलिकॉप्टर और अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोप व पिनाका रॉकेट लॉंचर सिस्टम से हमले कर आतंकवादियों के हौसले पस्त कर दिए। आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने के लिए महिन्द्रा डिफेन्स की लाइट स्पेशिलिस्ट व्हीकल पर लगी एटीजीएम और एमएमजी का भी उपयोग किया गया।
इस सत्यापन अभ्यास में शामिल हुई सैन्य कंपनी के कमांडर अरुण कुमार पांडे(शौर्य चक्र) रहे। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे जम्मू-कश्मीर में एन्टी टेरेरिस्ट ऑपरेशन में शामिल रहे हैं। आतंकवादी निरोध ऑपरेशंस में उनका अच्छा खासा अनुभव है। जिसे इस अभ्यास में उन्होंने अपनाया। उनके अनुसार उन्होंने अपने अनुभवों को इस अभ्यास में साझा किया, जिसका बेहतर परिणाम भी सामने आया है।
वहीं इस युद्धाभ्यास में इंजीनियर कर्नल आकांक्षा राजपूत के अनुसार इस प्रशिक्षण में दोनों देशों के सैनिकों ने टेक्निक, टैक्टिस, प्रेक्टिस और प्रोसिजिंग का बेहतर अनुभव हासिल किया है। जो भविष्य में आतंकवादी निरोधक गतिविधियों में दोनों देशों की सेनाओं के लिए बेहतर साबित होगा। इस युद्धाभ्यास में इंजीनियरिंग का बेहतर उपयोग करते हुए सैन्य टुकडिय़ों की राह को आसान किया गया है।
गौरतलब है कि युद्धाभ्यास को वैश्विक सुरक्षा और दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के चलते महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 9 सितम्बर से शुरू हुए इस संयुक्त युद्धाभ्यास के 20वें संस्करण में संयुक्त राज्य अमेरिका की 11वीं एअरबोर्न डिवीजन की 1-24 बटालियन और भारत की सेना की राजपूत रेजीमेंट्स की 9वीं बटालियन शामिल है। दोनों देशों के 600-600 सैनिक इस संयुक्त युद्धाभ्यास में प्रतिनिधित्व किया।