आरजीएचएस योजना में विसंगतियां सहकारी दवा केंद्रों के लिए बनी मुसीबत

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पांच जिलों के सहकारी भंडार प्रमुख मीडिया से हुए रूबरू, बताई समस्याएं

पिछले ढाई वर्षों में सहकारी भंडारों का करीब 254 करोड़ रुपए बकाया

बीकानेर। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम यानी आरजीएचएस में निजी मेडिकल स्टोर से दवा लेने की छूट दिया जाना सहकारी दवा भंडार के लिए आर्थिक दिक्कतें कर रहा है। जिसे लेकर बीकानेर सहित प्रदेश के पांच जिलों के सहकारी भंडारों के अध्यक्षों ने मंगलवार को मीडिया से रूबरू होते हुए अपनी पीड़ा बयां की।

बीकानेर स्थित सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार में मीडिया से रूबरू होते हुए बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अध्यक्ष नगेंद्रपाल सिंह शेखावत ने आरजीएचएस में वित्तिय खामियां, बकाया भुगतान सहित कई मुद्दों की जानकारी दी। उन्होंने नवम्बर, 2021 से अब तक करीब 254 करोड़ रूपये की बकाया होने और जिसके चलते भंडार की माली हालत खराब होने की पीड़ा भी व्यक्त की।


उन्होंने सरकार की ओर से आरजीएचएस में निजी मेडिकल स्टोर से दवा लेने के निर्णय को उचित नहीं ठहराते हुए कहा कि सहकार दवा केंद्रों की बिक्री भी कम होकर 10 फीसदी तक रह गई है। हालात यह हो गए हैं कि सहकारी दवा केंद्रों पर कार्यरत फार्मासिस्ट व हेल्पर्स तक के वेतन निकालना तक मुश्किल हो गया है।

समन्वय समिति के संयोजक शिवदयाल गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के 33 जिलों में स्थापित भंडार में कॉन्फेड के माध्यम से 16 अगस्त 2023 तक दवाओं के पुनर्भरण की व्यवस्था की गई थी। जिसके चलते सीधे भंडारों को दवा वितरण का भुगतान करने के निर्देश जारी हुए थे। इसके बाद भी नवम्बर, 2021 से 15 अगस्त, 2023 तक 105.16 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसमें से 10 करोड़ रुपये कॉन्फेड को देना बकाया है। वहीं 16 अगस्त, 2023 से आज तक 148.83 करोड़ रुपए आरजीएचएस में बकाया है। इसके लिये सभी भंडार अध्यक्ष पिछले डेढ़ साल से पत्र व्यवहार, ज्ञापन देने का काम भी कर रहे हैं। फिर भी भुगतान नहीं हो रहा है।

सहकारी होलसेल भंडार, सिरोही के अध्यक्ष जितेन्द्र एरन ने बताया कि आरजीएचएस योजना के तहत कैंसर, किडनी व अन्य गंभीर बीमारियों की दवाइयों की खरीद में निजी मेडिकल स्टोर व सहकारी भंडार की दुकान की दर में काफी अंतर है। जिससे राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि निजी मेडिकल स्टोर वाले एमआरपी पर बारह प्रतिशत कम राशि पर दवा देते हैं। जबकि सहकारी भंडार में खरीद मूल्य पर केवल दस प्रतिशत प्रभार ही लिया जाता है।
इस दौरान मौजूद सभी अध्यक्षों ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील की है कि निजी मेडिकल स्टोर और सहकारी भंडारों के सॉफ्टवेयर में समान व्यापार समान नीति के तहत एकरूपता की जानी चाहिए। ताकि एक तरफ़ जनता के पैसे का सदुपयोग हो और दूसरे सहकारी संस्थाएं पुनर्जीवित हो सके।

समन्वय समिति गठित कर सरकार को दी चेतावनी

बकाया भुगतान सहित कई मुद्दों के निस्तारण के लिये प्रदेश के सभी भंडार अध्यक्षों ने समन्वय समिति का गठन किया। जिसमें किसान सहकारी समिति श्रीगंगानगर के अध्यक्ष शिवदयाल गुप्ता को संयोजक बनाया है। वहीं बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अध्यक्ष नगेन्द्रपाल सिंह शेखावत को सह संयोजक नियुक्त किया है। जिन्होंने स्पष्ट किया है कि आगामी एक माह तक भुगतान का निस्तारण नहीं हुआ तो मजबूरन भंडार प्रमुख आन्दोलन करने को मजबूर होंगे।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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