‘फ्री बिजली’ देने वाले गहलोत पर प्रदेश की ‘बत्ती गुल’ करने के आरोप
एक भी लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी पूर्ववर्ती सरकार : ऊर्जा मंत्री
बीकानेर। प्रदेश में सौर ऊर्जा के भंडार होने के बावजूद भी प्रदेश में बिजली का संकट है। ना तो उद्योगों को पर्याप्त बिजली मिलती है और ना ही किसानों को। हैरानी की बात तो यह भी है कि बिजली संकट के चलते भीषण गर्मी के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती होती रही है। मौजूदा सरकार के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर बिजली संकट के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि पूर्ववर्ती सरकार ने सौर ऊर्जा का पूरा सिस्टम ही खराब कर दिया, जिसकी वजह से प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है। पिछली सरकार ने भारी अनियमितता बरती। उत्पादन की बजाय महंगे दामों में बिजली खरीदने की प्रवृत्ति रखी जिससे भ्रष्टाचार बढ़ा। वर्तमान सरकार कई बड़े कदम उठाने जा रही है जिससे प्रदेश बिजली उत्पादन में नंबर वन राज्य बनने जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार की अदूरदर्शिता और गलत निर्णय बिजली संकट का जिम्मेदार हैं। पहले केंद्र और अन्य राज्यों की तरह राज्य सरकार भी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (सेकी) सोलर प्लांट्स से जुड़ी नीलामी प्रक्रिया को पूरा करती थी। इसे पूर्ववर्ती सरकार ने बदल दिया। वर्ष, 2023 में ऊर्जा विकास निगम ने कमीशन बचाने के नाम पर नीलामी का जिम्मा खुद के पास रखा, जबकि निगम के संसाधन इसके लिए सक्षम नहीं थे। इसका नतीजा यह रहा कि जो वर्क ऑर्डर एकाध सप्ताह में निकल जाने चाहिए। वे एक साल तक नहीं निकाले जा सके। इससे 1000 मेगावाट क्षमता वाले प्लांट्स के काम अटक गए। अगर नीलामी की प्रक्रिया नहीं बदली जाती तो राजस्थान आज बिजली उत्पादन में सिरमौर होता।
एक भी लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई पूर्ववर्ती सरकार : नागर
ऊर्जा मंत्री का कहना है कि वर्ष, 2010 में रिन्यूएबल एनर्जी परचेज ऑब्लिगेशन के तहत नए लक्ष्य तय किए गए थे। पिछले 14 साल में राजस्थान एक बार भी लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने तो हर वर्ष महंगे दामों में थर्मल बिजली खरीदता रहा। इसका वित्तीय भार सीधा उपभोक्ताओं पर पड़ता था। राज्य सरकार को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा और प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को भी। मौजूदा सरकार ने 60 हजार करोड़ के टेंडर निकाले हैं। इनमें 3200 मेगावाट थर्मल और 8000 मेगावाट सोलर ऊर्जा के हैं। पूर्ववर्ती सरकार के समय सोलर पार्क बनने थे, लेकिन दो साल बीतने के बावजूद जमीन तक आवंटित नहीं की जा सकी।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com