संयुक्त सैन्य अभ्यास : भारतीय सेना का दल उज़्बेकिस्तान के लिए रवाना

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60 सदस्यों के दल में 45 जाट रेजीमेंट की बटालियन के, 15 वायुसेना के

इन्फेंट्री के साथ सपोर्ट आर्म्स और सर्विसेज के कर्मी भारतीय दल में शामिल, 2 महिला सैन्य अधिकारी भी

बीकानेर। भारतीय सेना का दल आज भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास DUSTLIK के 5 वें संस्करण के लिए रवाना हुआ। यह अभ्यास 15 से 28 अप्रेल तक उज्बेकिस्तान गणराज्य के टर्मेज़ में आयोजित होगा।

रक्षा प्रवक्ता राजस्थान कर्नल अमिताभ शर्मा के अनुसार सैन्य अभ्यास DUSTLIK भारत और उज्बेकिस्तान में वैकल्पिक रूप से आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है। पिछले वर्ष संस्करण फरवरी में पिथौरागढ़ (भारत) में हुआ था। भारतीय सशस्त्र बलों के 60 कर्मियों के दल का प्रतिनिधित्व भारतीय सेना के 45 कर्मियों, मुख्य रूप से जाट रेजिमेंट की एक बटालियन और भारतीय वायु सेना के 15 कर्मियों द्वारा किया जा रहा है। उज्बेकिस्तान सेना और वायु सेना के लगभग 100 कर्मियों की उज्बेक टुकड़ी का प्रतिनिधित्व-पश्चिम सैन्य हिस्से के दक्षिणी परिचालन कमान के कर्मियों द्वारा किया जाएगा।

युद्ध अभ्यास DUSTLIK का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और पहाड़ी और अर्ध शहरी इलाकों में संयुक्त संचालन को निष्पादित करने के लिए संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है। यह उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास और विशेष कौशल हथियार की मूल बातें पर ध्यान केंद्रित करेगा। अभ्यास के दौरान सामरिक अभ्यासों में एक संयुक्त कमांड पोस्ट का निर्माण, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी सम्मिलटीम सम्न और निष्कर्षण, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन, हस्तक्षेप ड्रिल और अवैध संरचनाओं का विध्वंस शामिल होगा।

युद्ध अभ्यास DUSTLIK के इस संस्करण की जटिलता को मल्टीडोमेन संचालन के साथ बढ़ाया गया है क्योंकि दल में इन्फैंट्री के अलावा युद्ध सपोर्ट आर्म्स और सर्विसेस के कर्मियों को शामिल किया गया है। दो महिला अधिकारी भी भारतीय सेना के दल का हिस्सा हैं, जिनमें से तो एक तोपखाना रेजिमेंट से और दूसरी सेना मेडिकल कोर से हैँ।

युद्ध अभ्यास ‘DUSTLIK’ दोनों पक्षों को संयुक्त संचालन करने की रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम करेगा। इस अभ्यास से दोनों देशों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन, बोनहोमी और सौहार्द विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे दोनों देशों के बीच मित्र संबंधों को द्विपक्षीय संबंधों और बढ़ावा मिलेगा।

##KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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