पुष्करणा सावा कलैण्डर का विमोचन, परम्पराओं को चित्रों से समझाने की कोशिश

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Release of Pushkarna Sava calendar, attempt to explain traditions through pictures

परम्परा संस्कृति हमारी विरासत, इसे अगली पीढ़ी को सौपना हमारी जिम्मदारी : जेठानन्द व्यास

नवाचार साबित हो रहा है पुष्करणा सावा कलैण्डर

बीकानेर। हमारी पौराणिक परम्पराएं, हमारी संस्कृति हमारी विरासत हैं, इसे अगली पीढ़ी को सही ढंग से संभालते हुए सौंपना चाहिये। यह उदगार सोमवार को बीकानेर पश्चिम विद्यायक जेठानन्द व्यास ने रमक झमक की ओर से तैयार किए गए पुष्करणा सावा कलैण्डर विमोचन के अवसर पर व्यक्त किये।

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जेठानन्द व्यास ने कहा कि रमक झमक द्वारा सावा की पौराणिक परम्पराओं व संस्कृति को सहेजे ये कलैंडर बहुत उपयोगी सिद्ध होगा और इससे लुप्त होती परम्पराओं का महत्व युवाओं को जानने के लिए मिलेगा। विशिष्ट अतिथि संत भावनाथ महाराज ने कहा कि संस्कार संस्कृति ही हर समाज की पहचान है। भाजपा नेता राजकुमार किराडू ने कहा कि रमक झमक का पुष्करणा सावा कलैण्डर, 2024 तक नहीं उसके बाद भी सुरक्षित रखने योग्य है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के हरिशंकर आचार्य ने कहा कि पुष्करणा सावा कलैण्डर एक नवाचार है और रमक झमक ऐसे अनूठे नवाचारों के लिये जाना जाता है।

रमक झमक अध्यक्ष प्रहलाद ओझा भैरुं ने कलैण्डर में हर पेज पर बनाए गए चित्र व परम्परा के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्ष, 2024 जनवरी से दिसम्बर बारह महीनों का कलेण्डर के साथ हर पेज पर चित्रकारों द्वारा पुष्करणा ब्यांव की पौराणिक रस्म परम्पराओं के मूंग बिखेरने से कांकण डोरा खोलने तक बनाए रंगीन चित्र हैं तथा उन रस्मों की जानकारी व उसकी विशेषता के बारे में छापा गया है। कार्यक्रम में भंवर पुरोहित, साहित्यकार जुगलकिशोर पुरोहित, सतीश किराडू, ईश्वर महाराज, भगवानदास ओझा, सुशील किराडू, भवानीशंकर व्यास, किशनकुमार शर्मा एवं बेटू महाराज आदि ने भी विचार रखे। रमक झमक की ओर से राधे ओझा ने आभार जताया।

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