बीजेपी-कांग्रेस के गले की हड्डी बन सकते हैं बागी और छोटे दल !

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Rebels and small parties can become a thorn in the side of BJP-Congress!

3 दिसम्बर को चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्थिति हो पाएगी साफ

अभी कयास और आंकड़ों के गणित में उलझे नजर आ रहे हैं लोग

बीकानेर। प्रदेश में अगली सरकार किस पार्टी की बनेगी, इसका फैसला 3 दिसंबर होने वाली मतगणना से तय हो जाएगा, लेकिन अगर दोनों ही प्रमुख दल मसलन भाजपा और कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए जादुई आंकड़े से दूर रह गए तो छोटे दल और बागी उम्मीदवारों की अहमियत समझी जा सकती है।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रदेश के इस चुनाव में कुछ बागी नेता और 6 छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं। छोटे दल और बागी नेता बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं। 3 दिसंबर को अगर छोटे दल और निर्दलीय चुनाव लड़े बागी नेता दोनों दलों पर भारी पड़े तो दोनों दलों के लिए सत्ता की कुर्सी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।
वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी ने साल, 2013 के चुनावों में निर्णायक जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष, 2018 में अशोक गहलोत को निर्दलीय और छोटे दलों का महत्वपूर्ण समर्थन पाने के लिए एक से अधिक बार अपना जादू चलाना पड़ा था।


पिछले चुनाव में प्रदेश के छोटे दलों को करीब 12 फीसदी वोट मिले थे। इसलिए ये छोटे दल दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के लिए अपरिहार्य हो गए हैं। ये छोटी पार्टियां जिसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी, वह वर्ष, 2023 की रेस में उतना ही पिछड़ता चला जाएगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के वोट शेयर में सिर्फ आधी फीसदी का मामूली अंतर था।


प्रदेश में इस बार चुनाव बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, इंडियन ट्राइबल पार्टी, एआईएमआईएम ने उम्मीदवार उतारे हैं। हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी, बीटीपी से अलग होकर बनीं बीएपी, अभय चौटाला की जननायक जनता पार्टी, शिवसेना शिंदे गुट ने भी प्रत्याशी उतारे हैं।

छोटे दलों की अहमियत


वैसे तो प्रदेश के चुनाव में भाजप और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन चुनावी पंडित बताते हैं कि 200 सीटों में से 50 सीटों पर बागी उम्मीदवारों और छोटे दल असर डाल सकते हैं। ऐसे में चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, दोनों की नजर इन छोटे दलों पर टिकी है। क्योंकि नतीजे अगर मनमाफिक नहीं आए, तो छोटे दलों के हाथ में सत्ता की चाबी आ जाएगी।

महिला वोटर किसके साथ?


प्रदेश में सबकी नजरें महिला मतदाताओं पर है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए हैं। आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रही है। यही नहीं, महिलाओं का मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।
एक एजेंसी सर्वे के अनुसार वर्ष, 2018 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने कांग्रेस, बीजेपी को बराबर यानी 40-40 प्रतिशत वोट दिया था। जबकि वर्ष, 2013 विधानसभा चुनाव में 47 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने बीजेपी और 34 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया था। बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 20 और कांग्रेस ने 28 महिलाओं को टिकट दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 और कांग्रेस ने 27 महिलाओं को टिकट दिया था।

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