दिल्ली की देरी, बढ़ी प्रदेश में बेचैनी, लिस्ट जारी करने में कांग्रेस-भाजपा कर रही हैं देरी

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Will tickets not be given even on the recommendation of Gehlot and Pilot?

आखिर भाजपा – कांग्रेस में क्या पक रही है खिचड़ी ?

अब अक्टूबर में पहली सूची जारी करने का कहा जा रहा है दोनों तरफ से

बीकानेर। कांग्रेस और बीजेपी में टिकटों को लेकर जयपुर से दिल्ली तक मंथन चल रहा है।। वहीं जनता से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रत्याशियों की पहली सूची का इंतजार है। बीजेपी और कांग्रेस ने पहले जहां सितम्बर में पहली सूची जारी करने की बात कही थी, लेकिन अब दावेदारों का इंतजार बढ़ गया है। दोनों ही पार्टियों की पहली सूची अक्टूबर में आने की बातें कही जा रही हैं। इधर, चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों को टिकट में हो रही देरी बेचैन कर रही है।


प्रदेश में दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है। दोनों ही दल किसी भी सूरत में इस जंग जीतकर सिंहासन हासिल करना चाहते हैं और इसके लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। टिकट देने के लिए भी दावेदारों को परखा जा रहा है। यही कारण है कि टिकट देने में दोनों ही पार्टियों में देरी हो रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सितम्बर में कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी करने की बात कही थी। वहीं खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से दो महीने पहले टिकट तय करने की पैरवी की थी। अब तक कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही पार्टियों में टिकट को लेकर मंथन किया जा रहा है।


जानकार सूत्रों की मानें तो कई बार टिकट के बंटवारे का आलम यह होता है कि टिकट बंटने के साथ ही वोट देने से पहले ही प्रत्याशी की हार-जीत तय हो जाती है। यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां टिकट फाइनल करने से पहले पूरा मंथन कर रही है। कांग्रेस-बीजेपी टिकट तय करने से पहले कई बार सर्वे करवा रही हैं। पार्टी स्तर के साथ ही एजेंसियों से भी सर्वे करवाए गए हैं। इसके बाद भी टिकट फाइनल करने में जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं।


जानकारी के अनुसार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रत्याशियों की सूची में देरी होने का एक कारण यह है भी है कि दावेदारों की संख्या ज्यादा है। राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते कांग्रेस और बीजेपी में कई सीटों पर तो तीस से पैंतीस तक दावेदार हैं। इनमें कई दावेदारों की क्षेत्र में बराबर की पकड़ है, वहीं जातीय गणना के हिसाब से बराबर का दमखम है, ऐसे में उनमें उपयुक्त नाम छांटना टेढ़ी खिर साबित हो रहा है। यदि एक को टिकट देते हैं तो दूसरे की बगावत का खतरा हो सकता है। यही कारण है कि नेता बार-बार कह रहे हैं कि टिकट किसी एक को ही मिलेगा दूसरे सब उसके साथ लगकर चुनाव जीताने में जुटेंगे। फिलहाल दोनों ही पार्टियों की ओर से अब संभवतया पहली सूची अक्टूबर में जारी होंगी।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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