संभागीय आयुक्त , कलेक्टर और तहसीलदार (राजस्व) के भी संज्ञान में प्रकरण
रसूख और धनबल के कारण नहीं हो रही है कोई कार्रवाई
बीकानेर। प्रभावाली लोग अपने रसूख और धनबल के चलते किस प्रकार सरकारी जमीन को अपने नाम करवा कर आगे बेच रहे हैं, इसका एक ताजा मामला प्रकाश में आया है। इस प्रकरण में ग्राम चकगर्बी में सरकारी जमीन के कूटरचित दस्तावेज बनवाकर और उपनिवेशन विभाग से राजस्व खसरा बनवाकर एक रसूखदार ने जमीन खरीद ली और बाद में उसे किसी अन्य को बेच दी। हैरानी की बात तो यह है कि संभागीय आयुक्त, कलेक्टर और तहसीलदार राजस्व के संज्ञान में आने के बाद भी इस प्रकरण के दोषियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रकरण से जुड़े दस्तावेज के अनुसार तत्कालीन संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने कलेक्टर भगवतीप्रसाद कलाल को दिनांक 21जून, 2023 को पत्र लिख कर निर्देश दिए हैं कि उपनिवेशन खसरा नंबर 766 तथा चक 7 बीकेएम के मुरब्बा नंबर 77/33 तथा 77/34 में गैर कानूनी तरीके से नामांतरकरण मोहनलाल राठी ने अपनी पत्नी एवं पुत्र के नाम दर्ज करवाकर अराजीराज जमीन को अन्य के नाम बेचान की है, जिससे राज्य सरकार को राजस्व हानि हुई है।
इस प्रकरण में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए इससे पहले दिनांक 22 जून, 2022, 19 जुलाई, 2022, 18 नवम्बर, 2022 तथा 8 फरवरी, 2023 को भी कलेक्टर को पत्र लिखे गए थे। कार्रवाई नहीं होने पर इस पत्र में संभागीय आयुक्त की ओर से कलेक्टर को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि उक्त प्रकरण को व्यक्तिश देखें तथा तथ्यों का स्वयं परीक्षण करें। प्रकरण की गंभीरता को देखते अराजीराज जमीन को गैर कानूनी तरीके से खातेदारी दर्ज किए जाने की स्थिति में सरकार जमीन का संरक्षण करते हुए खातेदारी भूमि को रकबा राज दर्ज करने की कार्रवाई करते हुए पालना रिपोर्ट से अविलम्ब इस कार्यालय को अवगत करवाना सुनिश्चित करें। इस पत्र के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आई है।
ये है प्रकरण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे गए प्रार्थना पत्र के अनुसार उपनिवेशन खसरा नंबर 534 वाके ग्राम चकगर्बी तहसील व जिला बीकानेर है। खसरा नंबर 534 पहले संवत 2026 में बालूराम पुत्र मिसाराम ओड को आवंटित हुइ थी। संवत 2026 से 2029 तक बालूराम पुत्र मिसाराम उक्त खसरा जमीन पर काश्तकार रहा। बाद में उक्त खसरा जमीन में किसी प्रकार का कोई नवीनीकरण नहीं हुआ और उक्त खसरा नंबर 534 पुन: अराजीराज भूमि में शामिल हो गया। संवत 2033 में उक्त खसरा नंबर 534 एसीसी के आदेश के जरिए हडमान पुत्र लादू कुम्हार को काश्त करने के लिए आवंटित की गई। आदेशानुसार हडमान द्वारा उक्त भूमि को संवत 2044 तक काश्त किया गया।
उसके बाद संवत 2045 से संवत 2060 तक उक्त खसरा भूमि दोबारा अराजीराज हो गई। तत्पश्चात संवत 2060 में बालूराम के वारिसान धींवरराम, पेमादेवी, संतोष ने पटवारी हल्का एवं अन्य अधिकारियों से सांठगांठ करके गलत रिपोर्ट करवाकर कार्यलय तहसीलदार राजस्व बीकानेर के आदेश क्रमांक 108 दिनांक 10 अप्रेल, 2007 के द्वारा उक्त खसरा नंबर 534 की भूमि की खातेदारी प्राप्त कर ली और झूठा इंतकाल दर्ज करवा लिया।
तत्पश्चात बालूराम के वारिसान ने मनमर्जी से अधिकारियों एवं कर्मचारियों से सांठगांठ करके उक्त उपनिवेशन खसरा नंबर 534 का राजस्व खसरा नंबर 1316/159 कायम करते हुए कूटरचित जमाबंदी तैयार कर ली, जबकि विधि के अनुसार हमेशा राजस्व खसरा नंबर से उपनिवेशन खसरा नंबर बनते हैं। उपनिवेशन से राजस्व खसरा नंबर कानून संगत नहीं है, जबकि उक्त खसरा नंबर 534 कार्यालय नगर विकास न्यास बीकानेर के नाम से वर्ष 2020 तक दर्ज है तथा 18 फरवरी, 2020 को कार्यालय नगर विकास न्यास बीकानेर ने जलप्रदाय योजना के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को समर्पित कर दी थी।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com