जयपुर व दिल्ली तक दावेदारों की लगने लगी दौड़
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेेता अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट की कर रहे सिफारिश
बीकानेर। विधान सभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। ऐसे में अब विधानसभा वार टिकट की तैयारी शुरू हो गई है। जिसमें कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी डटे हुए हैं। इस बार के टिकट वितरण में रोचक बात है कि सर्वे रिपोर्ट को ही मजबूत आधार बनाया जा रहा है। दोनों दलों में सर्वे की रिपोर्ट को लेकर खूब हलचल है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार दो सर्वे की रिपोर्ट फाइनल हो गई है। अब तीसरे सर्वे की रिपोर्ट फाइनल दौर में है। प्रदेश की 200 में से कुल 70 सीटों पर सर्वे 25 अगस्त तक फाइनल हो जायेगा। वहीं कई सीटों पर चुनाव के लिए प्रत्याशियों को सहमति भी दे दी गई है। उन्हें काम करने के लिए मैदान में डटा दिया गया है। अगस्त के अंत में ये सर्वे रिपोर्ट दिल्ली पहुंच जाएगी। जहां से फिर अप्रुवल होकर लिस्ट वापस आएगी। अंतिम मुहर मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को लगानी है।
इन सीटों पर मिले हैं संकेत
जयपुर जिले की मालवीयनगर, सांगानेर, सिविल लाइंस, विराटनगर, विद्याधरनगर पर चुनाव लडऩे वालों को संकेत मिल गए हैं। वर्ष, 2018 में मालवीय नगर, सांगानेर और विद्याधर नगर पर कांग्रेस को हार मिली थी। मगर, कांग्रेस यहां पर अपने पुराने चेहरे के भरोसे आगे बढऩा चाह रही है। यहां के पूर्व प्रत्याशी मैदान में डटे हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें पहले से ही संकेत दिया जा चुका है। इसलिए इन क्षेत्रों में सरकार की ओर से खूब काम किया जाने लगा है। ऐसे ही सीकर जिले की तीन सीटों पर संकेत दिए जा चुके है। इसी तरीके से झुंझुनूं और अलवर जिले की 7 सीटों पर संकेत दिए है। दौसा की दो सीटों पर संकेत दिए गए हैं। संकेत मिलने के बाद से ही वहां पर कांग्रेस के नेता जमीन पर डट गए हैं।
सर्वे की रिपोर्ट में खराब सीटों पर जोर
सूत्रों ने बताया कि सर्वे में जिन्हें 50 से ज्यादा नम्बर मिले हैं उन्हें तो हरी झंडी दे दी गई है। जिन्हें 50 से 25 के बीच नम्बर मिले हैं। उन्हें मेहनत करने और सुधार के लिए बोला गया है। इसके साथ ही जिन्हें 25 से 10 नम्बर मिले हैं। उनकी सीट पर मजबूती से काम किया जा रहा है। ऐसी कुल 70-80 सीटें हैं जहां पर 25 से 10 नंबर मिले हैं। उन सीटों पर अभी भी सर्वे चल रहा है। वहां पर पार्टी का हरसंभव प्रयास है कि चेहरा बदला जा सकता है। इस लिस्ट में कई मंत्री और विधायक भी शामिल है। कुछ ने तो चुनाव न लडऩे की बात तक कह डाली है।