‘जादूगर’ की जाति के लोग ही 7 दिनों से सड़क पर! चुनावी मौसम में अपने भी रूठे

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Only the people of 'Magician' caste are on the road since 7 days! In the election season, even your own anger

पार्टी के भीतर घमासान और अब अपने लोगों की नाराजगी

बढ़ती जा रही गहलोत सरकार की मुश्किलें

बीकानेर। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली ग्रैंड ओल्ड पार्टी की सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है और ऊपर से अपनी जाति को लेकर गौरवान्वित महसूस करने वाले अशोक गहलोत को अपने लोगों की ही नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।


मुख्यमंत्री गहलोत ने कई मौकों पर खुद की जाति का उल्लेख किया है। माली समुदाय से आने वाले इकलौते विधायक होने के बावजूद अशोक गहलोत सत्ता के शिखर तक पहुंचे हैं। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि आज मैं मुखयमंत्री हूं, मैं चाहता हूं कि हर कौम की मैं सेवा करूं, चाहे वो जाट हों, गुर्जर हों, कुशवाहा हों, जाटव हों, जो भी कौम के लोग हैं, ब्राह्मण हों, बनिया होंए, कोई भी हों, क्योंकि मैं इस बात को जानता हूं कि जातियों के आधार पर कोई मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं।
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी को आज भी विपक्षी महज गांधी परिवार के तौर पर ही देखते हैं और समय-समय पर सिर्फ इसी वजह से ग्रैंड ओल्ड पार्टी को आलोचना का सामना करना पड़ता है। यूं तो अशोक गहलोत गांधी परिवार के सबसे वफादार ‘वजीर’ माने जाते थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर हुए घमासान के दौरान गांधी परिवार के बीच उनकी साख कमजोर हुई है। इसके बावजूद समय-समय पर सचिन पायलट से चुनौती मिलने के बाद भी अशोक गहलोत की कुर्सी को कोई हाथ नहीं लगा पाया।


12 फीसदी आरक्षण की मांग
यूं तो अशोक गहलोत अपनी जाति का उल्लेख करते हुए थकते नहीं हैं लेकिन अब उन्हीं के समुदाय ने मोर्चा खोल रखा है और सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अलग से 12 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने उनकी मांगों पर गौर करने पर सहमति जता दी। इसके बावजूद भी माली समुदाय के आंदोलनकारी जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर डटे हुए हैं। माली समुदाय का विरोध प्रदर्शन कोई नया नहीं है। इसी प्रकार उन्होंने पिछले साल जून में भी अपना विरोध जताया था लेकिन आश्वासन मिलने के बाद विरोध समाप्त कर दिया था।

इस मामले को लेकर आंदोलनकारियों की सरकार के आलाअधिकारियों के साथ दो दौर की वार्ता भी हुई लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने आंदोलन समाप्त करने की अपील की है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट के साथ चल रही खींचतान और फिर माली समुदाय की नाराजगी की वजह से सत्तारूढ़ दल को चुनावों में नुकसान हो सकता है। साथ ही विपक्षी पार्टी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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