विधानसभा चुनाव में अभी 15 दिनों का समय ही बाकि रहा है लेकिन कांग्रेस में अभी हलचल काफी कम नजर आ रही है। प्रत्याशियों के साथ पार्टी के अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी कहीं भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में शहर के दोनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस की नैया कैसे पार लगेगी, इस पर संशय बन रहा है।
बीकानेर। पिछले चार वर्षों में लगातार सक्रिय रहने वाले कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी इन दिनों चुनाव मैदान में कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। पार्टी के प्रत्याशी अपने नजदीकी समर्थकों को लेकर चुनाव मैदान में प्रचार में जुटे हुए हैं।
गौरतलब है कि भाजपा सरकार के शासन में हर छोटी-छोटी बात कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी धरना, प्रदर्शन करते थे, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के पुतले फूंकते थे, मीडिया में छाए रहने के लिए तरह-तरह के नए आइडियों के साथ प्रदर्शन किया जाता था, ज्ञापन भेजे जाते थे, लेकिन जब इन पदाधिकारियों की जरूरत पार्टी को हुई तो वे कहीं नदारद होते दिखाई दिए।
पिछले साढ़े चार वर्षों में कांग्रेस अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी अपने चंद समर्थकों के साथ कोई भी प्रदर्शन या ज्ञापन देने प्रशासन के पास पहुंच जाते थे।
अभी एक-दो महीने पहले जब मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे यहां आईं थी तो उन्हें पुलिस के पुख्ता प्रबंधों के बावजूद काले झण्डे दिखाए गए थे, लेकिन पार्टी के वे साहसिक कार्यकर्ता अब चुनावी समर में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि अभी चुनाव की शुरुआती रस्में ही निभाई जा रही हैं लेकिन इनमें भी अग्रिम संगठनों के पदाधिकारियों का नजर नहीं आना लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।
राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि वोट तो कार्यकर्ताओं के ही पास होते हैं। प्रत्याशियों के पास नहीं, ऐसे में अब कार्यकर्ता ही चुनावी मैदान से नदारद हो रहे हैं तो प्रत्याशियों के उत्साह में भी कमी आना लाजमी है।
फिलहाल चुनाव में 15 दिनों का समय शेष है और राजनीति हर पल अलग रंग में आती है। अगले महीने की 11 तारीख को सब कुछ साफ हो जाएगा।