देसी भाषा में ‘नाल’ कहेे जाने वाला ये जुगाड़ साबित हो सकता है जानलेवा
महंगाई के चलते जुगाड़ का इस्तेमाल कर पटाखों का मजा ले रहे लोग
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com
बीकानेर। महंगाई के चलते पिछले कुछ वर्षों में लोग जुगाड़ कर बनाए गए उपकरण से धमाके कर पटाखों का मजा ले रहे हैं। सरिये और लोहे के पाइप से बनी इस चीज को पटाखों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन ये उपकरण कभी भी जानलेवा भी साबित हो सकता है।
गहलोत सरकार ने इस वर्ष भी दिवाली पर पटाखें फोडऩे के लिए दो घंटे का समय निर्धारित कर दिया है। दिवाली के पहले वाले दिनों में भी एकदम से पटाखा फूटने जैसी आवाज आ रही है। इसकी दो वजह हैं, एक तरफ वे लोग हैं जो बैन से पहले ही पटाखे खरीद चुके हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं, जो पटाखे जैसी आवाज निकालने वाला जुगाड़ ढूंढ चुके हैं और उससे धमाके कर पटाखों का मजा ले रहे हैं।
इस जुगाड़ को देसी भाषा में ‘नाल’ कहा जाता है। इसे एक सरिए और लोहे के पाइप की मदद से तैयार कराया जा रहा है। महंगाई के चलते प्रदेश भर के कई जिलों और बीकानेर के कई इलाकों में लोग इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। अब पटाखे महंगे होने के बाद इनका चलन बढ़ गया है। बीकानेर शहर और ग्रामीण इलाकों में लोग खुले आम ‘नाल’ का इस्तेमाल करते दिख जाएंगे।
ऐसे काम करती है यह ‘नाल’
इस ‘नाल’ से पटाखे जैसी आवाज निकालने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है। पहला है सरिये और पाइप से बना यह जुगाड़। दूसरा है पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बारूद में डलने वाली चीजें। आम भाषा में इसे गंधक और पोटाश बोलते हैं। वहीं साइंस की भाषा में इसे सल्फर (गंधक) और पोटेशियम (पोटाश) बोलते हैं। शहर में कुछ जगहों पर लोग इस चीज के जरिए पटाखा फोडऩे जैसी आवाज निकालते दिखे तो न्यूजफास्ट ने पूछा कि वे लोग ये नाल कहां से लाए? कुछ ने इस सवाल को टाल दिया।
वहीं कुछ ने बताया कि उन्होंने सरिये और पाइप का जुगाड़ करके इसे वेल्डिंग वाले से बनवाया है।
दूसरी तरफ विस्फोट के लिए इस्तेमाल की जा रही चीज भी शहर में कुछ ठिकानों पर मिल रही है, ऐसा न्यूजफास्ट को लोगों ने बताया। इसकी कीमत के बारे में पूछा गया तो पता चला कि आम दिनों में गंधक-पोटाश का यह कॉम्बो पैक 800 से 1000 रुपये किलो में मिल जाता है। लेकिन अब दिवाली सेशन और पटाखों के महंगे होने के चलते इसकी कीमत बढ़ गई है।
अब अगर किसी को एक किलो गंधक-पोटाश लेना है तो इसके लिए 400-1500 रुपये किलो चुकाने पड़ रहे हैं। एक किलो में कितनी बार ऐसी पटाखों की आवाज निकाली जा सकती है? यह सवाल पूछने पर ‘नाल’ का इस्तेमाल कर रहे लोगों ने न्यूजफास्ट को बताया कि एक किलो में करीब एक हजार बार इस तरह आवाज निकाली जा सकती है। मतलब यह एक हजार रुपये में करीब एक हजार बम फोडऩे जैसा है।
लोग इसे पटाखों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल तो कर रहे हैं लेकिन इसमें विस्फोट के लिए इस्तेमाल हो रही चीजें वही हैं जिससे पटाखे बनाए जाते हैं। यानी इससे भी प्रदूषण होता ही है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिबंधित क्षेत्रों में पटाखे फोडऩे वालों के खिलाफ भादस की धारा-268 के तहत 200 रुपए का जुर्माना और 6 महीने की जेल का प्रावधान है।