दो वर्ष की सजा का है प्रावधान, ऐसे केस में सजा का आंकड़ा है जीरो
अगले महीने आठ जुलाई को है अबूझ सावा, बाल विवाह होने की जताई जा रही है आशंका
बीकानेर। देश में बाल विवाह पर प्रतिबंध है। इस प्रतिबंध का उद्देश्य है बच्चों का बचपन और जीवन सुधारना। इसके लिए पुलिस हर बार कार्रवाई भी करती है लेकिन ये जानकर आश्चर्य होगा कि बाल विवाह के बड़ी संख्या में मामले पकडऩे के बाद भी पुलिस किसी आरोपी को सजा नहीं करा पाई है।
सरकारी स्लोगन ‘बाल विवाह एक अभिशाप है’ एक ढकोसला बन कर रह गया है। प्रदेश में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत पुलिस की कार्रवाई से तो यही लग रहा है। प्रदेश में बालविवाह पर रोक के बावजूद बचपन में फेरे होना बताया जा रहा है।
ये बयां कर रहेे हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, बाल विवाह के मामले में राजस्थान देश के पहले दस राज्यों में शुमार है। राज्य में केंद्र के बालविवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत कार्रवाई की जा रही है लेकिन यह प्रभावी नहीं है। एक नवंबर, 2007 से लागू इस कानून में दो साल की सजा का प्रावधान भी है लेकिन शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाती है। ऐसे केस में सजा का आंकड़ा जीरो है। प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से बालविवाह करने वालों में भी किसी प्रकार का खौफ नहीं है।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में जनवरी, 2017 से जनवरी, 2022 तक पांच साल में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 46 मामले दर्ज किए गए और 35 केसों में चालान भी पेश किया गया, लेकिन सजा एक में भी नहीं हुई है। वहीं 8 केसों को एफआर लगाकर बंद कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर 3 केस पेंडिंग चल रहे हैं।
8 जुलाई को है अबूझ सावा
प्रदेश में बाल विवाह यूं तो सालभर होते बताए जा रहे हैं, लेकिन अबूझ सावों पर सबसे ज्यादा होते हैं। अगले महीने 8 जुलाई को भड़ल्या नवमी का अबूझ सावा है और इस पर बालविवाह होने की आशंका जताई गई है। प्रदेश में बालविवाह निषेध कानून के तहत पिछले पांच साल में दर्ज मामलों को देखें तो आसानी से समझ में आ जाएगा कि बालविवाह रोकने के लिए पुलिस, प्रशासन और अन्य संस्थाएं कितनी जागरूक है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com