वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने रोकथाम के लिए तैयार किए नए निर्देश
जुलाई माह से प्रतिबंध हो जाएंगे प्रभावी
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com
बीकानेर। प्लास्टिक कचरे को कम करने की दिशा में सरकार ने एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। इसके तहत प्लास्टिक पैकेजिंग के री-साइक्लिंग और री-यूज को अनिवार्य किया गया है। साथ ही इसके लिए निर्माताओं और ब्रांड स्वामियों को भी जवाबदेह बनाया गया है। ऐसा न करने वाले निर्माताओं के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए है। इसे चरणबद्ध तरीके से इसे अमल में लाए जाने की तैयारियां की जा रही हैं।
प्लास्टिक पैकेजिंग एक बड़ी समस्या
सियासी गलियारों से निकल कर आई खबर के मुताबिक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने यह कदम उस समय उठाया है जब देश में पैदा हो रहे प्लास्टिक कचरे में से करीब 65 फीसद कचरा प्लास्टिक पैकेजिंग से ही पैदा होता है। अभी इसके बहुत ही कम हिस्से की री-साइक्लिंग होती है। ऐसे में प्लास्टिक पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का बड़ा हिस्सा कचरे में तब्दील हो जाता है।
सरकार ने दिखाई सख्ती
यही वजह है कि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के साथ ही इसे लेकर भी सख्ती दिखाई है। जो तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। इससे पहले सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को प्रतिबंधित किया गया था। इससे जुड़े प्रतिबंध जुलाई, 2022 से प्रभावी हो जाएंगे।
विकल्पों को प्रोत्साहन
अभी हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्लास्टिक पैकेजिंग को लेकर जारी दिशा-निर्देशों को लेकर ट्वीट भी किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि इससे प्लास्टिक के बेहतर विकल्पों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। टिकाऊ पैकेजिंग की दिशा में व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए रोडमैप उपलब्ध होगा।
गठित की जाएगी उच्च स्तरीय समिति
मंत्रालय की ओर से प्लास्टिक पैकेजिंग को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रदूषण पैदा करने वालों के साथ अब निर्माता एवं उत्पादकों पर रि-साइक्लिंग सहित दी गई जिम्मेदारियों के पूरा न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही प्लास्टिक पैकेजिंग को फिर से जुटाने के लिए निर्माताओं और ब्रांड स्वामी को सुझाव दिया है कि वह जमा वापसी और प्लास्टिक पैकेजिंग को फिर से खरीदने या किसी अन्य तरीके वाली परिचालन योजनाएं चला सकते है। इसके साथ ही इस निगरानी रखने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की जाएगी।