ऋषि परम्परा के संवाहक हैं लक्ष्मीनारायण रंगा : अर्जुनदान चारण… देखें वीडियो

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लक्ष्मीनारायण रंगा

11 पुस्तकों का लोकार्पण

बीकानेर। ज्ञान को प्रकट करने की विधा और आत्मा को रंजन देने का गुण होता है लेखन में और ऐसे ही लेखन के धनी हैं लक्ष्मीनारायण रंगा। यह उद्गार रविवार शाम धरणीधर रंगमंच पर एनएसडी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्जुनदेव चारण ने लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों के लोकार्पण अवसर पर कही।

लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्ष चारण ने कहा कि साहित्य क्षेत्र के पुरोधा लक्ष्मीनारायण रंगा ने नाटक, काव्य, गीत, बाल कथाएं, लोक कथाएं आदि में इतना लिखा है जिसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। सही मायनों में ऋषि परम्परा के संवाहक हैं लक्ष्मीनारायण रंगा।

लोकार्पण अवसर पर भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि बीकानेर का रंगकर्म शताब्दी वर्ष चल रहा है। 100 वर्ष पहले बीकानेर में नाटक मंचन की शुरुआत हुई थी और इस ऐतिहासिक अवसर पर रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण होना और भी गौरव की बात है। पीढिय़ों के मार्गदर्शक के रूप में रंगा ने लेखन के हर बिन्दुओं पर भरपूर लिखा है। टैस्सीटोरी, विवेकानन्द पर प्रेरणादायी तथा माँ व पिता पर इतना मार्मिक लिखा गया है कि जिसे पढ़कर व्यक्ति निश्चित तौर पर भावुक हो जाए। 107 से अधिक बोध कथाएं लिख कर रंगा ने अनूठा कार्य किया है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवा लेखक हो या वरिष्ठ लेखक साहित्यकार रंगाजी का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहता है। 85 वर्ष की उम्र में भी अनवरत लिखना और वो भी उत्साह के साथ लिखना बहुत बड़ी बात है। रंगा ने उम्र को लेखन पर हावी नहीं होने दिया। विभिन्न विधाओं में लेखन लक्ष्मीनारायण रंगा की ही विशेषता है। साहित्य के साथ-साथ रंगा ने कई नाटकों में अभिनय भी किया है।

डॉ. बृजरतन जोशी ने कहा कि रंगकर्मी रंगा के लेखन का मिजाज, अंदाज और प्रस्तुति इन पुस्तकों में दिखाई देती है। हिन्दी व राजस्थानी में लिखी गई पुस्तकें सात्विक और स्वतंत्रता के बोध को दर्शाता है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण कमल रंगा ने प्रस्तुत किया तथा लक्ष्मीनारायण रंगा व कासिम बीकानेरी ने आगन्तुकों का आभार जताया।

11 पाठकों को सुद्धि पाठक सम्मान-

लोकार्पण अवसर पर मंचस्थ अतिथियों द्वारा 11 सुद्धि पाठकों वसुंधरा आचार्य, गौरीशंकर जोशी, मुस्कान पंवार, साक्षी पूरी, चिरायु तंवर, नंदगोपाल पुरोहित, राधिका शर्मा, मोहित आचार्य, जागृति भोजक, आनन्द पुरोहित तथा शुभम सुथार का सम्मान किया गया।

इन 11 पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

वरिष्ठ रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 नव प्रकाशित पुस्तकें सदियों का सूरज, दर्द की सतहों पर, आज का एकलव्य, टुकड़ा-टुकड़ा चेहरा, बूंद-लहर-समन्दर, आदमी की नीलामी, सदियां री पीड़, रचे मौत इतिहास, राजस्थानी के अमर साधक डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी, योद्धा संन्यासी तथा चैटिंग कर्यो न कोय का लोकार्पण किया गया।

यह रहे उपस्थित- डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य, डॉ. राजेन्द्र जोशी, नगेन्द्र किराड़ू, नगेन्द्र पुरोहित, आनन्द वी. आचार्य, हरीश बी. शर्मा, डॉ. भंवर भादाणी, चंचला पाठक, संजू श्रीमाली, मोहन थानवी, राजाराम स्वर्णकार, पुखराज सोलंकी, मदनमोहन व्यास, शिवशंकर भादाणी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ज्योति रंगा ने किया।

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