ना ऊंटों का टोला और ना ही विदेशी पर्यटक, जिला स्तर का बना अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव, देखें वीडियो…

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Neither camel camp nor foreign tourists, district level international camel festival

हैरिटेज वॉक में सिर्फ चार ऊंट शामिल, उनमें भी दो बीएसएफ के

सिर्फ खानापूर्ति के लिए आयोजित किया जा रहा है ऊंट उत्सव

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

बीकानेर। अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव अब जिला स्तरीय उत्सव बनता नजर आ रहा है। आज से शुरू हुए अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव में ना ऊंटों का टोला कहीं नजर आया और ना ही विदेशी मेहमान। ऊंट उत्सव के पहले कार्यक्रम हैरिटेज वॉक में सिर्फ चार ऊंट ही दिखाई दिए जिसमें से भी दो ऊंट बीएसएफ के थे। ऐसे में अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि ऐसी क्या जरूरत थी कि इस ऊंट उत्सव का आयोजन इस बार किया गया है।


शहर के विकास चाहत रखने वाले लोगों के अनुसार जनवरी के शुरू में होने वाले ऊंट उत्सव को मार्च में आयोजित किया जाना, आयोजन के उद्देश्य को पूरा नहीं कर रहा है। जनवरी महीने में यहां विदेशी मेहमानों की आवक भी ज्यादा रहती है और देशी पर्यटकों की भी। कोविड-19 की वजह से इस बार ऊंट उत्सव का आयोजन अपने निर्धारित समय पर नहीं हो सका, लेकिन प्रशासन ने आनन-फानन योजना बना कर इस बार मार्च महीने में ही ऊंट उत्सव का आयोजन शुरू कर दिया। इस बार के ऊंट उत्सव में हर बार की तरह कुछ आयोजन शामिल नहीं किए गए हैं। जिनमें विशेष महत्वपूर्ण अग्नि नृत्य, दो दिनों तक शाम को होने वाली सांस्कृतिक संध्या, आतिशबाजी आदि इस बार नहीं होंगे। हालांकि इस बार तीन दिनों के ऊंट उत्सव में एक दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन रखा गया है जिसमें भी बाड़मेर, जोधपुर, भरतपुर, खाजूवाला, गुजरात के लोक कलाकारों को ही शामिल किया गया है। जबकि पहले बहुत से प्रान्तों से लोक कलाकार यहां अपनी प्रस्तुतियां देने आते रहे हैं।
कुल मिलाकर इस बार का ऊंट उत्सव महज खानापूर्ति ही नजर आ रहा है। इस आयोजन के महत्वपूर्ण तत्व यानि ऊंटों के टोले और देशी व विदेशी पर्यटकों की गैरमौजूदगी तथा आयोजन के प्रति लोगों का कम होता रूझान ये दर्शा रहा है कि ये अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव अब जिला स्तर का उत्सव बन कर रह गया है।

आयोजन के खर्चे से सुधारी जा सकती है ऐतिहासिक धरोहरें


जागरूक लोगों के मुताबिक बिना ऊंटों के टोलों और बिना विदेशी मेहमानों के आयोजित हो रहे इस ऊंट उत्सव में जितने लाख रुपए भी खर्च किए जा रहे हैं, उन रुपयों से शहर की ऐतिहासिक धरोंहरों की मरम्मत आदि कार्य किए जा सकते थे। इस ऊंट उत्सव के दौरान पब्लिक पार्क में भी कार्यक्रम आयोजित होने हैं। जबकि पब्लिक पार्क के तीन दरवाजों की हालत काफी खराब है। वहीं जूनागढ़ के सामने स्थित सड़क के बीचोंबीच लगे हुए कई कलात्मक खम्भें भी मरम्मत मांग रहे हैं। पब्लिक पार्क के कई फाउण्टेन भी बंद पड़े हैं। ऐसे में उन्हें सही करवा कर संचालित किया जाए तो शहर की सौन्दर्यता भी बढ़ सकेगी।

लोग इंतजार करते रहे पर नहीं पहुंची हैरिटेज वॉक


जागरूक लोगों ने न्यूजफास्ट वेब को बताया कि इस बार ऊंट उत्सव के आगाज पर होने वाली हैरिटेज वॉक का रूट भी बदल दिया गया। हर बार हैरिटेज वॉक मोहता चौक होकर निकलती है लेकिन इस बार लक्ष्मीनाथजी मंदिर से रवाना होकर चूड़ी बाजार, सब्जी बाजार, मावा पट्टी होते हुए रामपुरिया हवेलियों तक पहुंची थी। जबकि मोहता चौक में परकोटे के भीतर रहने वाले बहुत से लोग हाथों में फूलमाला लेकर हैरिटेज वॉक में शामिल कलाकारों और अन्य लोगों का स्वागत करने के लिए खड़े रहे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हैरिटेज वॉक जब रामपुरिया हवेलियों के पास पहुंची तब वहां हैरिटेज वॉक में शामिल लोगों के अलावा दो दर्जन भी दर्शक मौजूद नहीं थे।

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