अधीनस्थ न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों पर दुर्व्यवहार के आरोप, दिशा-निर्देश के लिए न्यायाधिपति से निवेदन

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Allegations of misbehavior on the presiding officers of subordinate courts, request to the judge for guidelines

कोर्ट कक्ष में मौजूद वकीलों और पक्षकारों के सामने ही अफसर करते हैं दासों की तरह प्रताड़ित

न्यायिक कर्मचारी संघ ने मुख्य न्यायाधिपति राजस्थान को लिखा पत्र

बीकानेर। अधीनस्थ न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों पर राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ ने कर्मचारियों को दासों की तरह प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। कर्मचारी संघ की ओर से मुख्य न्यायाधिपति राजस्थान को इस बारे में पत्र लिख कर दिशा-निर्देश देने का निवेदन किया है।


राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्रनारायण जोशी के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि
न्यायिक अधिकारी कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और कोर्ट कक्ष में मौजूद वकीलों और पक्षकारों के सामने ही उन्हें ऊंची आवाज में दासों की तरह प्रताड़ित करते हैं। काफी समय से निचली कोर्ट नियुक्त न्यायिक अधिकारियों और न्यायिक कर्मचारियों के बीच आपसी सामंजस्य और तालमेल का अभाव बढ़ता ही जा रहा है।

न्यायिक कर्मचारियों पर पहले से ही काम का भार ज्यादा है और ऐसे में न्यायिक अधिकारियों का उनके प्रति सख्त रवैया न्याय प्रशासन की गरिमा के खिलाफ है। ज्यादातर न्यायिक कर्मचारियों की मौखिक शिकायत है कि न्यायिक अधिकारी उन्हें प्रताड़ित करते हैं। कई बार तो वे पक्षकारों व वकीलों के सामने ही उनसे दुर्व्यवहार भी करते हैं। इस रवैये से कर्मचारियों को अवसाद में आते देखा जा रहा है। ज्यादा कार्य का भार और न्यायिक अधिकारियों के इस प्रकार के बर्ताव की वजह से कई कर्मचारी उच्च रक्तचाप, हाइपर टेंशन, मधुमेह जैसी बीमारियों से भी ग्रसित हो रहे हैं। संघ ने पत्र में मुख्य न्यायाधिपति से निवेदन किया गया है कि किसी भी न्यायिक कर्मचारी के खिलाफ अनावश्यक नोटिस जारी नहीं किए जाएं और ना ही उनके खिलाफ एक पक्षीय विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाए।


वहीं यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई लंबित है तो उसका त्वरित निस्तारण किया जाए। इसके अलावा इन गंभीर समस्याओं को देखते हुए न्यायिक अधिकारी व कर्मचारियों के बीच विश्वास कायम रह सके और कर्मचारी ज्यादा कार्यक्षमता के साथ सुचारू रूप से काम करते रहें, इसके लिए न्यायिक अधिकारियों का उचित मार्गदर्शन भी किया जाए। गौरतलब है कि अधीनस्थ न्यायालयों में कर्मचारियों की कमी लंबे समय से बनी हुई है। पर्याप्त कर्मचारी नहीं होने के बावजूद नए न्यायालय लगातार खुल रहे हैं इसके चलते न्यायिक कर्मचारियों पर कार्यभार भी बढ़ गया है।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

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