सुदर्शना कला दीर्घा में लगी है प्रदर्शनी
करीब सौ साल पुरानी फिल्मों के पोस्टर बने हैं आकर्षण का केन्द्र
बीकानेर। आधुनिक दौर के चलते फिल्में अब ओटीटी प्लेटफार्म के माध्यम से दर्शकों तक आसानी से पहुंच रही है। ऐसे में फिल्मों के पोस्टर की अहमियत बिल्कुल खत्म सी हो गई है, लेकिन शहर के एक शख्स पुरानी फिल्मों के पोस्टरों को ना केवल संभाले हुए है बल्कि इनकी प्रदर्शनी लगाकर लोगों को भी भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास से रूबरू करवा रहा है।
बीकानेर के एम रफीक कादरी लंबे अर्से से पुरानी फिल्मों के पोस्टरों को संभालने का जूनून लिए हैं। हिंदी सिनेमा के 100 साल की यादों को चिरस्थाई बनाने के लिए वह पिछले 10 साल से राजमाता सुदर्शना कला दीर्घा में ओल्ड फिल्म पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन कर रहे हैं। इस प्रदर्शनी में वर्ष, 1930 में आई पहली बोलती फिल्म आलमआरा के पोस्टर भी लगे हैं। साथ ही वर्ष,1930 से 1950 के पोस्टरों को फ्लेक्स व वर्ष,1951 से 2000 तक 200 से अधिक फिल्मों के ऑरिजनल पोस्टर को इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है।
एम रफीक कहते हंै कि सिनेमा का वो दौर लोगों को याद रहे जब पोस्टरों को कलाकार अपने हाथो से बनाया करते थे, इसलिए वे प्रदर्शनी लगाते हैं। वहीं प्रदर्शनी को देखने आने वाले दर्शक भी मानते हंै कि आज के युवाओं के लिए यह प्रदर्शनी बेहद खास है। इन पोस्टरों से फिल्मों के विकास की पूरी गाथा को समझा जा सकता है कि कैसे फिल्मों में बदलाव आया।
आज टेक्नोलॉजी के बढऩे के साथ ही फिल्मी पोस्टरों का महत्त्व खोता जा रहा है लेकिन पुराने दौर में फिल्म के प्रमोशन के लिए केवल पोस्टर ही मुख्य साधन हुआ करते थे। इस प्रदर्शनी में बीकानेर में शूट हुई फिल्मों के पुराने फोटो के साथ कई दुर्लभ पोस्टरों को भी देखकर दर्शक खाफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
#KAMAL KANT SHARMA/ BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com