पारदी गैंग की दो महिलाएं मध्यप्रदेश के गुना क्षेत्र से की गिरफ्तार, नाबालिग निरूद्ध
वारदात करने वाले छह नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी है अभी शेष
बीकानेर। करीब 14 दिनों पहले पूगल रोड स्थित एक मकान में नब्बे लाख रुपए के जेवरात चोरी की वारदात का पुलिस ने आज पर्दाफाश कर दिया है। इस वारदात को अंजाम देने वाली पारदी गैंग की दो महिलाओं को मध्यप्रदेश के गुना जिले के बीलाखेड़ी गांव से गिरफ्तार किया गया है। वहीं इस वारदात में रैकी करने वाले एक नाबालिग को निरूद्ध कर बीकानेर लाया गया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पारदी गैंग की महिला सदस्यों में गिरफ्तार की गई आंचल पत्नी प्रदीप उम्र – 19 वर्ष तथा रोहिणी पत्नी करन उम्र- 20 वर्ष हैं। साथ ही इस वारदात को अंजाम देने वाले छह नामजद ओमप्रकाश पुत्र भैरव पारदी, धर्मराज पुत्र राजपाल पारदी, करन पुत्र राजपाल पारदी, प्रदीप पुत्र रामप्रसाद पारदी,
जॉनी पुत्र रामचरण पारदी और रवि उर्फ सागर पारदी निवासीगण बीलाखेड़ी थाना धरनावदा, जिला गुना, मध्यप्रदेश हैं। इन नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी अभी बाकि है। पुलिस इन आरोपियों की तलाश में जुटी है।
ऐसे आए पकड़ में
पुलिस के अनुसार वारदात का गहनता से निरीक्षण के दौरान पारदी गैंग का हाथ होने की संभावना प्रबल हो गई थी। अत्याधुनिक तकनीकों, मुखबीरों का सहारा लिया गया। जब ये निश्चित हो गया कि इस वारदात को पारदी गैंग के सदस्यों ने ही अंजाम दिया है तो उन्हें गिरफ्तार करने के लिए नौ टीमों का गठन किया गया। एक टीम को मध्यप्रदेश के गुना क्षेत्र में भेजा गया। पारदी गैंग पर कार्य करने वाले स्पेशलिस्ट रामवीर सिंह राजावात उप निरीक्षक अगार मालवा रेंज उज्जैन, मध्यप्रदेश की मदद ली गई। तरीका वारदात व फुटेज के आधार पर मुल्जिमों को चिन्हित कराने में विशेष योगदान रहा है।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम
आरोपी बीकानेर शहर में वारदात से कुछ दिन पहले मेलों में गुब्बारे व खिलौने बेचने के बहाने आ गये थे और गजनेर, नाल व बीकानेर रेल्वे स्टेशन पर अपना डेरा लगाया था। आरोपियों के साथ महिला व बच्चे भी साथ में बीकानेर आए थे।
आरोपियों ने बीकानेर शहर में गुब्बारे व खिलौने बेचने के बहाने लालगढ़, रामपुरा,
पूगल रोड व मुक्ता प्रसाद कॉलोनी के इलाकों में रैकी की व एक अक्टूबर को वारदात को अंजाम देना तय कर लिया। दो अक्टूबर को आरोपी करीब 05 बजे के पास
रेल्वे स्टेशन बीकानेर के प्लेटफॉर्म नम्बर 06 की ओर आकर रूक गए और वारदात करने के लिये पूर्व में प्रचलित पारदी गैंग द्वारा 06 सदस्यों की टीम बनाकर वारदात करने के लिये चिन्हित किये गये घर की तरफ चले गये।
पारदी गैंग के 06 सदस्य 10.30 बजे के आसपास चिन्हित किये घर के पास पहुंचे और वारदात को अंजाम देने का समय रात्रि 2 करीब तय कर लिया। इसलिये एक सुनसान प्लाट के अंदर 04 घंटे रूके रहे थे। करीब 02.30 बजे वारदात को अंजाम दिया और वहां से बीकानेर शहर से अलग-अलग रास्तों व साधनों से मध्यप्रदेश के मुरैना जिलें में पहुंच गये। इसके साथ आई महिलाएं व नाबालिग बच्चे भी अलग-अलग रास्तों व साधनों से मध्यप्रदेश के मुरैना पहुंच गये। महिलाओं को इस गैंग द्वारा वारदात करने के बाद किस जगह पहुचंना था यह पहले ही तय कर लिया गया।
पारदी गैंग का अपराध करने का तरीका
पारदी ज्यादातर अपराध जिस क्षेत्र में निवास करते है उसे छोड़कर अन्य प्रान्तों में करने जाते हैं। अन्य प्रान्तों में जाकर ये भीड़भाड़ वाले इलाकों यथा बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, अस्पताल प्रांगण, निर्माणाधीन भवन इत्यादि जगह पर मय परिवार के रूकते हैं और ये गुब्बारे बेचने जैसे छोटे व्यवसाय के जरिये पूरे क्षेत्र का जायजा लेते हैं। भ्रमण के दौरान ऐसे मकान जो अपेक्षाकृत एकांत में हों, सूने हों और काफी दिनों से बंद हो या घर में वृद्ध या कम संख्या में लोग निवासरत हो, को ही अपना निशाना बनाते हैं। ज्यादातर वारदातें कृष्णपक्ष (अंधेरी रात) के समय ही करते हैं।
सूने मकान में प्रवेश करते समय आधी टीम मकान की निगरानी पर बाहर रहती है। अंदर जाते समय अधिकांश लोहे ग्रिल पेचकस से खोलकर व दौलतिया से ताले को तोड़कर ही घुसते हैं। साथ ही कमर में गोफन और पत्थर इत्यादि बांध लेते हैं। वारदात करते समय यदि कोई जाग जाता है तो पत्थर आदि फेंककर डराने का प्रयास करते हैं, न डरने पर हत्या जैसी गंभीर वारदात भी करदेते हैं। इनकी टीम में निकट संबंधी ही वारदात करने जाते हैं जिनकी संख्या 6 से 10 तक होती है। ज्यादातर ये लोग आभूषणों (सोना-चांदी) एवं नगदी को ही निशाना बनाते हैं। इनकी महिलायें घटना के पश्चात लूटे आभूषण व नगदी को अपने गुप्तांगों व छोटे बच्चों के गले व कमर में बांधकर रेल या बसों द्वारा वापस अपने निवास स्थान की ओर चले जाते हैं।
पुरूष घटना के बाद तितर-बितर हो जाते हैं और अलग-अलग दिशाओं से अपने गांव अलग-अलग समय पर आते हैं। पुरूष अपना हिस्सा अपनी पत्नियों को देकर तत्काल गांव छोड़कर जंगल में पहाड़ों पर या नदी किनारे चले जाते हैं जहंा वह एक समूह बनाकर रहते हैं। सुबह शाम धुंधला होने पर मोटर साइकिलों से ये अपने घरों पर आते हैं यदि इन्हें पुलिस की भनक रहती है तो महीनों अपने घर पर नहीं आते । इनकी महिलाओं एवं बच्चों द्वारा इन्हें भोजन पहुंचाया जाता है जहां वे रूके हुए होतेे हैं।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com