मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और मिजोरम में आचार संहिता प्रभावी।
नई दिल्ली। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान करने के साथ ही इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही राज्य में नेताओं सहित सरकारों पर कई तरह की पाबंदियां लागू हो गई हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले यह विधानसभा चुनाव काफी अहम मानें जा रहे हैं। बहरहाल, सभी के लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर चुनाव आचार संहिता क्या होती है और इसमें किस तरह की पाबंदियां सरकार, प्रशासन और नेताओं पर लागू होती हैं।
समझे चुनाव आचार संहिता का अर्थ
चुनाव आचार संहिता का मतलब चुनाव आयोग के वे दिशा-निर्देश होते हैं जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
आयोग से उसे चुनाव लडऩे से रोका जा सकता है और उम्मीदवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। जांच में दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं।
राजनितिक दलों पर पर्यवेक्षक रखेंगे नजर
इस दौरान राजनीतिक दलों के आचरण और सभी क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है। इस दौरान मुख्यमंत्री या मंत्री न तो कोई घोषणा कर सकते हैं और न ही किसी तरह का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमि पूजन भी नहीं किया जा सकेगा।
इसके अलावा सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद सभी के लिए अलग-अलग नियम हैं।
सामान्य नियम
1. कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
2. राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित होए न ही व्यक्तिगत।
3. धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
4. वोट पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
5. किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें। किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
6. राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।