कल यानि शनिवार से शुरू हो रही नवरात्रि
घर-घर होगी कलश स्थापना
कल यानी शनिवार (17 अक्टूबर) से नवरात्रि शुरू हो रही है। शारदीय नवरात्रि में घर-घर में कलश स्थापना कर मां भगवती भवानी का पूजन किया जाएगा। इस पूजन के तहत श्रद्धालु नवरात्रि में अखंड ज्योति भी जलाएंगे। श्रद्धालु नौ दिनों तक या अपनी क्षमता के अनुसार उपवास रखेंगे।
कहा जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति जलानी चाहिए। बहुत से ज्योतिषाचार्य और विषय विशेषज्ञों के अनुसार अखंड ज्योति में जलने वाला दीपक दिन-रात जलता रहता है। मान्यता है कि अखंड दीपक व्रत की समाप्ति तक बुझना नहीं चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाने के पीछे एक अहम वजह बताई जाती है। माना जाता है कि जिस तरह घोर अंधेरे में एक छोटा-सा दीपक विपरीत परिस्थितियों में रहकर अपने आस-पास का अंधेरा दूर कर उस जगह को रोशनी से भर देता है, उसी तरह माता के भक्त भी मां की आस्था के सहारे अपने जीवन के अंधकार को मिटा सकते हैं।
नवरात्रि की अखंड ज्योति जलाने का नियम
- अखंड ज्योति जलाने के लिए हमेशा सामान्य से थोड़े बड़े आकार का दीपक पूजा के लिए चुनें। इसके लिए आप मिट्टी के दीपक का भी चयन कर सकते हैं।
- पूजा के लिए मिट्टी और पीतल के दीपक को शुद्ध माना जाता है।
- अखंड ज्योति का दीपक हमेशा किसी ऊंचे स्थान पर रखें। उसे कभी खाली जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
- पूजा के दीपक को जलाने से पहले उसे किसी ऊंचे स्थान जैसे पटरे या चौकी पर रखने से पहले उसमें गुलाल या रंगे हुए चावलों से अष्टदल बना लें।
- नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाले बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि अखंड ज्योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है।
- इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें।
- अखंड ज्योति जलाने के लिए घीए सरसों या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि अगर आप घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाहिने तरफ, अगर दीपक तेल का है तो उसे देवी मां के बाईं तरफ रखना चाहिए।
- डिसक्लेमर
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