वसुंधराराजे सरकार के वक्त वर्ष,2018 में भ्रष्टाचार के कुल 372 मामले, अब गहलोत सरकार के वक्त वर्ष,2019 में 445 मामले
बीकानेर। प्रदेश में पिछले एक वर्ष में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। ये हम नहीं बल्कि सरकार के आंकड़ें बता रहे हैं। अभी हाल ही में परिवहन विभाग के अधिकारियों और दलालों के खिलाफ हुई कार्रवाई में यह साबित भी होता नजर आया है।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि प्रदेश में भाजपा की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के वक्त वर्ष 2018 में भ्रष्टाचार के कुल 372 मामले सामने आए थे, जबकि अशोक गहलोत नेतृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस सरकार के पहले वर्ष, 2019 में सरकारी अफसरों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के मामलों की संख्या 445 हो गई है। भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा 55 मामले जयपुर में पकड़े गए हैं। भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों से 1.60 करोड़ रुपए की रिश्वत बरामद की गई है।
जानकारी केे मुताबिक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की ओर से पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 में भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी दी। नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने सरकार से पूछा था कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद जनवरी, 2019 से जनवरी, 2020 के बीच प्रदेेश में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति और अन्य अनियमितताओं के कितने मामले दर्ज किए गए हैं। इस प्रश्न के सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में यह आंंकड़ें सामने आए हैं।
सरकार की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया है कि प्रदेश में जनवरी, 2019 से जनवरी, 2020 के बीच सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के 28, पद के दुरपयोग व अन्य अनियमितताओं के 91 और रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के 326 मामले उजागर हुए। इस तरह कुल 445 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में अब तक 293 अधिकारी और कर्मचारी गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि इन प्रकरणों पर कार्रवाई के लिए गृह विभाग के तहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गठित है। यह पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में काम करता है।
इनके खिलाफ दर्ज हुए हैं मामले
जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग औैर अन्य अनियमितताओं के आरोप में जो मामले दर्ज हुए हैं उनमें पुलिस के अतिरिक्त कमिशनर, को-ऑपरेटिव मैनेजर, सरपंच, विभागों के डायरेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, थानाधिकारी से लेकर कांस्टेबल और लिपिक तक सभी तरह के अधिकारी कर्मचारी शामिल है। इन अधिकारियों और कर्मचारियों से रिश्वत के रूप में ली गई एक करोड़ 60 लाख 95 हजार 715 रुपए की राशि बरामद की गई है। दर्ज मामलों में से 66 मामलों में न्यायालय में चालान पेश किया गया है और मामलों की सुनवाई चल रही है। फैसला अभी किसी भी केस में नहीं आया है।
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