406 न्यायिक कर्मचारी बुधवार को चुनेंगे अपना जिलाध्यक्ष और 6 प्रान्तीय सदस्य

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406 judicial employees will elect their district president and 6 provincial members on Wednesday

नौ अप्रेल को हुए संगठन के चुनाव को बताया अवैधानिक, स्वस्थ निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने की अपील

बीकानेर। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष व प्रांतीय प्रतिनिधियों का चुनाव बुधवार को होगा। इस चुनाव में 406 वोटर्स अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। वोटिंग जिला स्तर पर सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक और तहसील स्तर पर सुबह 11 बजे से दोपहर बजे तक होगी।


मीडिया से रूबरू होते हुए संगठन के निवर्तमान जिलाध्यक्ष सुरेन्द्रनारायण जोशी ने बताया कि जिलाध्यक्ष पद के लिए तीन प्रत्याशी मैदान में हैं। जिनमें वे स्वयं, शैलेश कुमार पुरोहित तथा श्रवण गोदारा हैं। वहीं प्रान्तीय प्रतिनिधि के 6 पदों के लिए अविनाश आचार्य, विजय कुमार स्वामी, देवेन्द्रसिंह मेड़तिया, विकास सोलंकी, सुनील शर्मा, मदनगोपाल राठौड़, रजत ओझा, नारायणदास रंगा ने नामांकन भरा है। वोटिंग होने के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।


जोशी ने न्यायिक कर्मचारियों के एक अन्य गुट द्वारा चुनाव प्रक्रिया करवाने और जिलाध्यक्ष सहित कार्यकारिणी का गठन करने के सवाल पर कहा कि 9 अप्रेल को बीकानेर जिला शाखा के जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय प्रतिनिधियों का निर्वाचन पूर्णरूप से असंवैधानिक है। जिला शाखा बीकानेर द्वारा 28 मार्च को चुनाव कार्यक्रम घोषित किया हुआ है जिसका चुनाव 24 अप्रेल को होना प्रस्तावित है। इस बीच कुछ न्यायिक कर्मचारियों की ओर से चुनाव कार्यक्रम घोषित कर जिलाध्यक्ष के लिए अन्य दो उम्मीदवारों अनैतिक रूप से पर्चा खारिज कर दिया गया। नामांकन रद्द करने की वजह भी उम्मीदवारों को नहीं बताई गई और जब उन उम्मीदवारों ने नामांकन रद्द करने की वजह लिखित में दिए जाने को कहा तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया और स्वयं को निर्विरोध जिलाध्यक्ष एवं अपने चेहतों को प्रान्तीय प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया। किसी प्रकार की मतदान की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई। जो न्यायिक कर्मचारी संघ के संविधान की अवहेलना है।

आजीवन सदस्यता खत्म करने को भी बताया असंवैधानिक


निर्वतमान जिलाध्यक्ष जोशी ने बताया कि पिछले महीने यानि 10 मार्च को जयपुर में कुछ कर्मचारियों ने दस बिन्दुओं को लेकर प्रदेश स्तर पर एक बैठक आयोजित की। जिसमें आनन-फानन बिना किसी एजेंडे के उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। संगठन की उनकी सदस्यता को आजीवन रद्द करने का निर्णय ले लिया गया। उन्होंने बताया कि संगठन के संविधान में उल्लेखित है कि किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए संगठन के सदस्यों की दो तिहाई मौजूदगी होनी जरूरी है। अगर प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है तो उसे पहले नोटिस भी दिया जाना जरूरी है। लेकिन इन प्रक्रियाओं को नहीं अपनाया गया और आनन-फानन में वर्चुअली सहमति लेकर उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा कर दी गई, जो कि अवैधानिक है।

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