कांग्रेस : फिर होने लगी खींचतान, विधायकों को खुश करने में जुटे गहलोत

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Congress: Gehlot is trying to make legislators happy again

अहमद पटेल के निधन के बाद विधायकों में शुरू हुई बैचेनी

पांच महीनों से नहीं है कार्यकारिणी

बीकानेर। प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर आपसी खींचतान शुरू होने लगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने-अपने खेमों को मजबूत करने में जुटे हैं। इसी साल जुलाई में सचिन पायलट की बगावत के बाद विवाद थामने का जिम्मा दिग्गज नेता अहमद पटेल को सौंपा गया था। काफी मशक्कत के बाद उन्होंने गहलोत व पायलट खेमे के बीच विवाद को शांत कराया था लेकिन अब अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी में हालात फिर से पहले जैसे बनते नजर आ रहे हैं।

राजनीतिक पंडितों के मुताबिक अहमद पटेल के प्रयासों से गहलोत सरकार बची थी। उस समय अहमद पटेल ने पायलट खेमे को राज्य सरकार में सम्मान और भागीदारी देने का आश्वासन दिया था। अहमद पटेल की सलाह पर ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन वरिष्ठ नेताओं की कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में खुद अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल व राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को शामिल किया गया था।
राज्य में सत्ता और संगठन में तालमेल, मंत्रिमंडल के विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों सहित सभी काम इस कमेटी को सौंपे गए थे। कमेटी की दो बैठक हुई और यह तय किया गया था कि दिसंबर में मंत्रिमंडल का विस्तार व राजनीतिक नियुक्तयों का काम पूरा हो जाएगा, इसमें पायलट समर्थकों को महत्व दिया जाएगा। लेकिन अब जब अहमद पटेल नहीं रहे तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में बेचैनी बढऩे लगी है।

गहलोत और उनके समर्थकों में इस बात की बेचैनी है कि अब कहीं एक बार फिर बगावत जैसी स्थिति नहीं हो जाए। मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तयां नहीं होने से विधायकों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। गहलोत खेमे को चिंता है कि कहीं यही नाराजगी सरकार को भारी नहीं पड़ जाए। हालांकि मुख्यमंत्री विधायकों को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

विधायकों की मर्जी के अनुसार अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले हो रहे हैं। यहां तक की कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक तक विधायकों की सिफारिश पर हटाए और लगाए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि विधायक हावी हो गए। उधर, पायलट खेमे में इस बात की बेचैनी है कि अहमद पटेल के नहीं रहने से अब उनकी समस्याओं का समाधान कौन करेगा। बगावत थामते समय उनसे किए गए वादे कौन पूरा करेगा।
गहलोत उन्हे सरकार में भागीदारी देेंगे या नहीं। पायलट को इस बात की चिंता भी है कि गहलोत अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीति नियुक्तियों के काम में देरी करते हैं तो कहीं उनके समर्थक विधायकों में टूट नहीं हो जाए।

#Kamal kant sharma/Bhawani joshi www.newsfastweb.com

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